-सत्याग्रह, विद्वत्ता और रसिकता साहित्य में, साहित्य की आलोचना और अध्यापन में विद्वत्ता को अक्सर सूखी और रसिकता को आर्द्र मानने का पूर्वाग्रह व्यापक है. पर ऐसे मुक़ाम, सौभाग्य से हमारे यहां रहे हैं जब विद्वत्ता और रसिकता किसी एक ही व्यक्ति में, लगभग आवयविक रूप से संलग्न, प्रगट हुए हैं. आचार्य रामचन्द्र शुक्ल आधुनिक आलोचना के परिसर में सबसे पहले हैं. वे अधीत (शिक्षित) विद्वान थे और गहरे रसिक भी. दशकों...
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जो जनता आज उमर को आतंकवादी कह रही है, वो उसी के लिए काम करना चाहता था…
-द वायर, 23 दिसंबर को उमर खालिद की गिरफ़्तारी के 100 दिन पूरे हो गए. अपनी गिरफ़्तारी से 10 दिन पहले उमर ने मुझसे कहा था कि वो कुछ ऐसे युवाओं को एक साथ जोड़ना चाहता है जो सोशल मीडिया पर नफ़रत की राजनीति पर लगाम लगा सकें और जनता के ज़रूरी मुद्दों पर बात कर सकें. जो जनता आज उमर को आतंकवादी कह रही है, उमर उसी जनता के लिए काम करना...
More »कोविड-19 लॉकडाउन: 28 फीसदी प्रवासी मजदूरों को कमरे के किराये के लिए किया गया परेशान
-डाउन टू अर्थ, कोविड-19 को लेकर मार्च से शुरू हुए लॉकडाउन से प्रवासी मजदूरों को सबसे ज्यादा परेशानी झेलनी पड़ी। खासकर वे मजदूर-कामगार ज्यादा परेशान हुए, जो गृह राज्य छोड़कर राजधानी दिल्ली में नौकरी कर रहे थे। अव्वल तो उनका काम-धंधा बंद हो गया था, तो रोजी-रोटी का संकट आया और उस पर मकान मालिकों के अड़ियल रवैये ने जख्म पर नमक का काम किया। हाउसिंग एंड लैंड राइट्स नेटवर्क (एचएलआरएन) की...
More »मनरेगा : काम मांगने के बावजूद 97 लाख परिवारों को नहीं मिला रोजगार, 100 दिन पूरे करने वाले अब तक सिर्फ 19 लाख परिवार
-गांव कनेक्शन, दुनिया की सबसे बड़ी रोजगार की गारंटी देने वाली योजना मनरेगा में अब तक का रिकॉर्ड बजट दिए जाने के बावजूद 97 लाख परिवारों को काम नहीं मिल सका। कोरोना महामारी से उपजे बेरोजगारी के संकट के दौर में इन सभी परिवारों ने मनरेगा में रोजगार के लिए काम की मांग की थी। इतना ही नहीं, इस साल मनरेगा में रोजगार पाने को लेकर जॉब कार्ड के लिए आवेदन...
More »किसानों में आक्रोश को लेकर गांधी ने जो चेतावनी दी थी क्या आज हम उसी का सामना कर रहे हैं?
-सत्याग्रह, आधुनिक भारत में संगठित किसान आंदोलन के जनकों में से एक प्रोफेसर एनजी रंगा स्वयं एक किसान के बेटे थे. उन्होंने गुंटूर के ग्रामीण विद्यालय से लेकर ऑक्सफर्ड तक में अर्थशास्त्र की पढ़ाई की थी और वे गांधी से बेहद प्रभावित थे. गांधी से मिलते तो सवालों की झड़ी लगा देते थे और कई बार लंबी-लंबी प्रश्नावली पहले से लिखकर उन्हें सौंप देते थे. 1944 में जब गांधी जेल से...
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