देश के कई हिस्से इन दिनों कृषि संकट से गुजर रहे हैं।काफी हद तक इसकी वजह खराब मानसून है। ज्यादातर इलाकों में किसान आज भी सालाना बारिश पर निर्भर हैं, लेकिन कम बारिश के चलते साल 2014 और 2015 उनके लिए अच्छे नहीं रहे, हालांकि 2016 में अच्छी बारिश हुई थी। इस संकट की एक वजह कमोडिटी साइकिल (उत्पादों का चक्र) भी है, जिसके कारण खाद्य उत्पादों की वैश्विक कीमतें चक्रानुक्रम...
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भरे पेट की दुनिया में भूखे बच्चे --- डा. सैय्यद मोबिन जेहरा
भूख इंसान को कितना मजबूर करती है, यह तो वही जानते हैं जो एक वक्त की रोटी के लिए मारे-मारे फिरते हैं. पेट की यह आग इंसान से क्या कुछ नहीं करवाती है. हम सब दिन रात मेहनत करते हैं और जिंदगी की गाड़ी को खींचते हुए आगे बढ़ते हैं. हमारे समाज में कुछ लोग अपनी मरजी के अनुसार जो कुछ खाना चाहते हैं, वे न सिर्फ खाते हैं, बल्कि...
More »मानवता शर्मसार, बाइक पर बांध 22 km तक ले जाना पड़ा पिता का शव
छत्तीसगढ़ में मानवता एक बार फिर शर्मसार हुई है। सरगुजा संभाग के बाद अब बस्तर संभाग के कांकेर में एक बेटे को अपने पिता का शव मोटरसाइकिल पर बांधकर पोस्टमार्टम के लिए ले जाना पड़ा। शव ले जाने के लिए किसी अन्य वाहन की व्यवस्था नहीं हो पायी। उसके पिता महादेव मंडल ने फांसी लगा ली थी। बताया जा रहा है कि गांव पीवी 106 के रहने वाले 78 साल...
More »स्कूली शिक्षा में मामूली सुधार के संकेत पर स्थिति चिंताजनक
विद्यालयों की दशा देशव्यापी स्तर पर स्कूलों में सभी आयु वर्ग के नामांकन में बीते दो सालों में बढ़ोतरी हुई है, पर शैक्षणिक स्तर पर प्रगति असंतोषजनक है. बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में छह से 15 साल के 11.1 करोड़ बच्चों के पढ़ने की क्षमता खराब बनी हुई है. पूरे देश में स्कूली बच्चों की संख्या 25.2 करोड़ है. अगर इन चार राज्यों में शिक्षा में बेहतरी नहीं...
More »पानी की कहानी कहने वाले पर्यावरण के गुरु का जाना
अनुपम भाई सरलता, सहजता और विनम्रता की ऐसी मूर्ति थे जो प्रकृति, पानी, पर्यावरण और मानवता के बीच एक गहरा संबंध बनाते रहे। वे हमेशा ही बड़ी से बड़ी सच्चाई को बिना किसी से डरे, बिना किसी लालच और द्वेष के निष्पक्ष होकर बोल देते थे। मैंने अपने जीवन में उनके जैसे सहज, सरल किंतु बेबाक लोग कम ही देखे हैं। अनुपमजी ने अपनी जीवन-यात्रा पानी व पर्यावरण को समर्पित कर...
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