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गर्म हवाओं के खतरे से अब तो चेत जाएं - मिहिर आर. भट्ट

दुनिया के इतिहास में यह पांचवीं सबसे जानलेवा लू है, जिसका सामना हम इन दिनों कर रहे हैं। 2200 से ज्यादा लोगों की अब तक यह जान ले चुकी है। क्या हमें और मौतों का इंतजार है, जिसके बाद ही हम लू के खतरे का सामना करने के लिए कोई राष्ट्रीय नीति बनाएंगे? ध्यान रहे कि पिछले कुछ दिनों में गर्म हवा के थपेड़ों से जितने लोगों की मौतें हुई...

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मौत के खतरे से क्यों मूंदें आंखें? - डॉ. एके अरुण

रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा तंबाकू निर्मित उत्पादों के 60 से 65 प्रतिशत हिस्से पर सचित्र चेतावनी प्रकाशित करने को अपना समर्थन दिए जाने के बाद इससे संबंधित विवाद का काफी हद तक पटाक्षेप तो हो गया है, पर तंबाकू व नशे के इस्तेमाल पर रोक के लिए बनी संसदीय समिति के सदस्यों (खासकर भाजपा सांसदों) की टिप्पणियों कि 'तंबाकू से कोई कैंसर या खतरा नहीं होता" को लेकर पहले ही...

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विनिर्माण क्षेत्र में हिस्‍सेदारी बढाकर 15% से 25% करेंगे : अरूण जेटली

नयी दिल्ली : सरकार ने श्रम संबंधी समस्याओं, बुनियादी ढांचे की कमी और पूंजी की ऊंची लागत पर ध्यान देने की योजना बनायी है, जिससे सकल घरेलू उत्पाद में विनिर्माण क्षेत्र की हिस्सेदारी 15 प्रतिशत से बढाकर 25 प्रतिशत करने के मुश्किल काम को पूरा किया जा सके. वाणिज्‍य मंत्रालय की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम में वित्‍त मंत्री अरूण जेटली ने कहा मुझे अभी भी लगता है कि वस्तु उत्पाद,...

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स्वास्थ्य नीति: 'नौ दिन चले अढाई कोस'-- ज्यां द्रेज

केंद्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार बने अब चार महीने से अधिक हो चुके हैं. मोदी ने चुनाव प्रचार में स्वास्थ्य सुविधाओं की बेहतरी का वादा भी किया था. लेकिन स्वास्थ्य के मोर्चे पर मोदी सरकार ने किया क्या है, इसका विस्तृत ब्योरा अभी उपलब्ध नहीं है. अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज़ राष्ट्रपति के अभिभाषण, प्रधानमंत्री के संसद में दिए भाषण, लाल किले से प्रधानमंत्री का देश के नाम संदेश और वित्तमंत्री...

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कम नहीं हो पा रहा कुपोषण- संदीप कुमार

सरकार का दावा है कि लोगों में कुपोषण घटा है. नेशनल सैंपल सर्वे आर्गनाइजेशन (एनएसएसओ) की 66वीं अध्ययन रिपोर्ट में बताया गया है कि दो तिहाई लोग पोषण के सामान्य मानक से कम खुराक ले पा रहे हैं. योजना आयोग का मानना है कि हर ग्रामीण को न्यूनतम 2400 किलो कैलोरी व हर शहरी को न्यूनतम 2100 किलो कैलोरी का आहार मिलना चाहिए. जमीनी हकीकत क्या है, यह भी सरकारी...

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