महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश में किसान उग्र हो गए हैं। दोनों राज्यों में किसान आंदोलन हिंसक हो गया। मध्यप्रदेश में पुलिस फायरिंग में छह किसानों की मौत हो गई। यह घटना पूरे देश के लिए चेतावनी है क्योंकि किसानों ने अब शांतिपूर्वक आंदोलन के बजाय हिंसक रास्ता अख्तियार कर लिया है। कर्ज के बोझ तले दबे किसान फसलों की संतोषजनक कीमत न मिलने के कारण सड़कों पर उतर आए। सरकार की...
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लाखों कमा रहे आठवीं पास बाबूढाली, जानिए कैसे किया ये कमाल
जगदलपुर। बंगाल के विष्णुपुर गांव से आकर बस्तर में खेक्सी की फसल लेने वाले पहले किसान हैं बाबूढाली। वे मात्र आठवीं पास हैं और इन दिनों वे पंडरीपानी में खेक्सी उपजा रहे हैं। इनके खेत की खेक्सी प्रतिदिन संजय बाजार पहुंच रही है। वे बस्तर के बेरोजगारों के लिए आदर्श बन सकते हैं चूंकि मात्र आधा एकड़ में यह फसल लेकर उन्होंने दो लाख रुपए की आय प्राप्त किए हैं। गीदम...
More »एसी वाली कॉरपोरेट लाइफ छोड़ बनी किसान-- रचना प्रियदर्शिनी
तेजी से औद्योगिकीकरण की ओर बढ़ते इस मशीनी युग में जहां गांवों की अधिकतर आबादी बेहतर जीवन और सुख-सुविधाओं की तलाश में शहरों की ओर पलायन कर रही है, वहीं एक बेटी ऐसी भी है, जिसने कॉरपोरेट लाइफ की अच्छी-खासी जॉब को ठुकरा कर गांव में खेती करने के लिए वापस लौट आयी. इस बेटी का नाम है-अंकिता कुमावत. जानते हैं अंकिता के इस निर्णय की आखिर वजह क्या ...
More »पानीदार टेढ़ा पद्धति-- बाबा मायाराम
मौसम बदलाव के इस दौर में पानी का संकट एक बड़ी समस्या है, ऐसे में मुझे याद आती है छत्तीसगढ़ की टेड़ा पद्धति, जिसमें न केवल जरूरत के मुताबिक पानी निकाला जाता है, बल्कि इसमें पानी की आपूर्ति सतत् बनी रहती है, यह श्रम आधारित पद्धति है और किफायत से पानी खर्चने पर टिकी है. छत्तीसगढ़ में जशपुर जिले का एक है गांव चराईखेड़ा। वह उरांव आदिवासियों का गांव है। उनकी...
More »सरकारी शाहखर्ची और बदहाल किसान-- संजीव पांडेय
र्ष 2014 और 2015 भारतीय किसानों के लिए बुरे थे। दो सालों तक लगातार खराब मानसून के चलते देश के ग्यारह राज्यों के ढाई सौ से ज्यादा जिलों में सूखे की स्थिति रही। इस स्थिति में भी बिहार के औरंगाबाद जिले के चिल्हकी गांव के किसान खुशहाल थे। वे आज भी खुशहाल हैं। औरंगाबाद-डाल्टेनगंज रोड पर स्थित पिछड़ी जाति बहुल इस गांव की खुशहाली का कारण गांव के ही कुछ...
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