महाराष्ट्र फिर सूखे के चपेट में है. बुंदेलखंड पहले से ही समाचारों में बना हुआ है. खेती और किसानों को लेकर रोज बुरी खबरें आ रही हैं. महाराष्ट्र में पानी की कमी का लगातार तीसरा साल है. बुंदेलखंड में भी सूखे का चौथा साल चल रहा है. खेती बुरी तरह से संकट में है. दरअसल, पूरा मामला जल और भूमि के कुप्रबंध का है. देश में हर साल कहीं...
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सकारात्मकता का नतीजा, 50 लाख पेड़- सच्चिदानंद भारती
जब मैं यह लिख रहा हूं तो करीब 40 साल का काम आंखों में तैर रहा है। यह मेरे आसपास के 136 गांवों में फैला हुआ है। देवभूमि उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल और चमौली जिले के इन गांवों में हमने करीब 50 लाख पौधे रोपे। अब ये पहाड़ों पर आसमान चूमते हरे-भरे दरख्तों की शक्ल में सामने हैं, जिन्हें देखने देश-दुनिया के हजारों लोग आते हैं। मशहूर चिपको आंदोलन की...
More »एक और चिपको आंदोलन की जरूरत-- अनूप नौटियाल
पर्यावरण और हरियाली बचाने को लेकर जब भी बात की जाती है, तो उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्र में 1970 के दशक के 'चिपको आंदोलन' का जिक्र होना स्वाभाविक है। पहाड़ के जंगलों को बचाने के लिए अलख जगाने वाली गौरा देवी और उनके सहयोगी इस आंदोलन के जनक और प्रेरणाश्रोत के रूप में देश-दुनिया में पहचाने जाते हैं। उत्तराखंड के दूर-दराज के जिले चमोली की ग्रामीण महिलाओं के अथक प्रयासों...
More »दकियानूसी कैसे हो गई देशभक्ति? - गिरीश्वर मिश्र
वैश्वीकरण के दौर में देश और राष्ट्र जैसे शब्द पुराने पड़ते जा रहे हैं। अंग्रेजी का कंट्री शब्द गंवई क्षेत्र की ओर संकेत करता है। नेशन एक अमूर्त विचार है, जिसका स्वरूप उसके मानने वालों के अपने नजरिए पर ही निर्भर करता है। यह भी एक प्रचलित मत है कि नेशनलिज्म का कोई एक अर्थ नहीं होता, वह एक बहुलार्थी शब्द है जिसका उपयोग किसी भी ढंग से किया जा...
More »श्री श्री रविशंकर का आयोजन : एनजीटी ने केंद्र से पूछा पर्यावरण मंजूरी जरूरी क्यों नहीं?
नयी दिल्ली : नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने मंगलवार को आर्ट ऑफ लिविंग के वर्ल्ड कल्चर फेस्टिवल के आयोजन के लिए हुई लंबी सुनवाई के बाद इसे अगले दिन यानी मंगलवार की सुनवाई तक के लिए टाल दिया. एनजीटी ने मामले की सुनवाई करते हुए आज केंद्र से पूछा कि इस आयोजन के लिए पर्यावरण मंजूरी की जरूरत क्यों नहीं है?आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर की संस्था आर्ट आॅफ लिविंग...
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