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बिहार में अक्षय ऊर्जा की रफ्तार को धीमी करती जमीन की कमी, क्या रूफटॉप सोलर हो सकता है समाधान

मोंगाबे हिंदी, 20 नवम्बर  इंवर्टर बल्ब, यानी बिजली जाने के बाद भी यह बल्ब तीन-चार घंटे तक रोशनी दे सकती है। सविता कुमारी की छोटी सी दुकान पर बिजली के दर्जनों उपकरणों में से एक इस बल्ब की एक और खासियत है। इसे सविता ने अपने कस्बे में ही बनाया है। बिहार के गया जिले में स्थित एक छोटे से कस्बे डोभी में रहने वाली सविता कुमारी सौर ऊर्जा आधारित एक...

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एक शोध में हिमालय के मज़बूत गद्दी चरवाहा समुदाय पर प्रकाश डाला गया है

 द थर्ड पोल, 17 नवम्बर गद्दी, हिमाचल प्रदेश में सबसे बड़ा चरवाहा समुदाय है। वर्ष 2011 में हुई हालिया भारतीय जनगणना के हिसाब से इनकी आबादी 1,78,000 है।  अब जबकि जलवायु परिवर्तन के कारण हिमालयन वाटरशेड की आबादी प्रभावित हो रही है, ऐसे में गद्दी समुदाय को लेकर इस तरह के शोध उपयोगी साबित हो रहे हैं: गद्दी समुदाय के सामने आने वाली चुनौतियां, और उनके जवाब में इनकी प्रतिक्रियाएं बेहद अहम...

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लद्दाख: आम नागरिकों की पहल से कारगर हो रहा वन्यजीव संरक्षण

मोंगाबे हिंदी, 17 नवम्बर लेह में रहने वाले 35 वर्षीय स्टैनज़िन चंबा प्रकृति की खोज में लद्दाख के नुब्रा घाटी में बीते पांच साल से जा रहे हैं। लेह शहर से लगभग 160 किलोमीटर दूर नुब्रा में उन्होंने कई प्रकार के वन्य जीव देखे लेकिन जो जीव उन्हें सबसे अधिक आकर्षित करता है वह है यूरेशियाई लिंक्स। लिंक्स को स्थानीय भाषा में ‘ई’ कहते हैं। “लद्दाख में ज्यादातर लोगों ‘ई’ का नाम...

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हर दिन 6 से 7 घंटे की कोचिंग क्लास, परीक्षा से पहले वाली परीक्षा, कोटा में तैयारी करने वाले छात्रों का जीवन इतना कठिन क्यों है? रिपोर्ट

इंडियास्पेंड, 16 नवम्बर   ब‍िहार की राजधानी पटना से लगभग 100 क‍िलोमीटर दूर गया ज‍िले के एकता कॉलोनी में रहने वाले आर्मी से सेवानिवृत्त विनोद कुमार अभी भी मानने को तैयार नहीं हैं क‍ि उनका बेटा वाल्मीकि कुमार आत्‍महत्‍या कर सकता है। "एक साल पहले ही तो कोटा गया था जेईई आईआईटी की तैयारी करने। पढ़ने में अच्‍छा था। हमें तो पता ही नहीं चल पाया क‍ि आख‍िर उसने आत्‍महत्‍या की क्‍यों। हमने...

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पढ़ाई के साथ हुनर भी सीखते हैं आदिवासी बच्चे

बाबा मायाराम मध्यप्रदेश के अलीराजपुर जिले के ककराना गांव में ऐसा आवासीय स्कूल है, जहां न केवल पलायन करनेवाले आदिवासी मजदूरों के बच्चे पढ़ते हैं बल्कि हुनर भी सीखते हैं। यहां उनकी पढ़ाई भिलाली, हिन्दी और अंग्रेजी भाषा में होती है। वे यहां खेती-किसानी से लेकर कढ़ाई, बुनाई, बागवानी और मोबाइल पर वीडियो बनाना सीखते हैं। अब इस स्कूल का एक भील वॉयस नामक यू ट्यूब चैनल भी चल रहा है। पश्चिमी...

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