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क्या मनरेगा बजट डूबती ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए काफी है?

वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण द्वारा 1 फरवरी, 2020 को प्रस्तुत केंद्रीय बजट 2020-21, सामाजिक कार्यकर्ताओं और किसान समूहों (यहां और यहां क्लिक करें) को प्रभावित करने में विफल रहा हैं. अपनी प्रेस नोटों के माध्यम से, इन सगंठनों के सदस्य विशेष रूप से महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) और प्रधानमंत्री किसान विकास योजना (PM-KISAN)और ग्रामीण और कृषि क्षेत्र के लिए बजटीय आवंटन में बढ़ोतरी करने के लिए केंद्र सरकार से लगातार मांग कर...

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बेरोजगारी दर कैसे 6.1 प्रतिशत से भी ज्यादा हो सकती है, पढ़िए इस न्यूज एलर्ट में

सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय द्वारा जारी श्रमबल सर्वेक्षण के नये आंकड़ों में बेरोजगारी दर के साल 2017-18 में 6.1 प्रतिशत होने की बात कही गई है लेकिन मंत्रालय के आंकड़ों के विश्लेषण पर आधारित एक शोध-आलेख में आशंका जतायी गई है कि बेरोजगारी की मार झेल रहे लोगों की वास्तविक संख्या इससे कहीं ज्यादा हो सकती है.(आवधिक श्रमबल सर्वेक्षण की मूल रिपोर्ट के लिए इस लिंक पर क्लिक करें)   ‘सर्जिकल स्ट्राइक ऑन एम्पलॉयमेंट: द रिकार्ड ऑफ द फर्स्ट...

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नेशनल अप्रेंटिसशिप प्रमोशनल स्कीम: 20 लाख युवाओं को करना था रोज़गार के लिए तैयार, हुए सिर्फ 2.90 लाख

नई दिल्ली: भारत वाकई दुनिया का एक अद्भुत देश है. यहां बेरोजगारी भी एक बहुत बड़ा रोजगार है. खासकर सियासत और नौकरशाही के लिए. बेरोजगारी न होती तो हजारों करोड़ रुपये का मनरेगा न होता और मनरेगा के नाम पर मची लूट न होती. एक ऐसी लूट, जिसने पंचायत स्तर पर भ्रष्टाचार को सांस्थानिक स्वरूप दे दिया. बेरोजगारी न होती तो दो करोड़ नौकरी हर साल देने का वादा न होता...

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ग्रामीण संकट: आठ सालों में पिछले साल मनरेगा के तहत नौकरियों की सबसे अधिक मांग रही

नई दिल्ली: मोदी सरकार के पिछले साल के आंकड़े दिखाते हैं कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत नौकरियों की मांग में बढ़ोतरी हुई है. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 2018-19 में 2017-18 की तुलना में काम की मांग में 10 फीसदी की बढ़ोतरी हुई. इसके साथ ही साल 2018-19 में साल 2010-11 के बाद से इस योजना के तहत व्यक्ति कार्य दिवस की सबसे अधिक संख्या दर्ज...

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पिछले छह साल में रोजगार की तलाश करने वाली ग्रामीण महिलाओं की संख्या में 2.8 करोड़ की कमी आई

नई दिल्ली: साल 2004-05 से अब तक पांच करोड़ से अधिक ग्रामीण महिलाएं राष्ट्रीय बाजार की नौकरियां छोड़ चुकी हैं. साल 2011-12 से अब तक महिलाओं की भागीदारी 7 फीसदी कम हो चुकी है जिसका असर यह हुआ है कि करीब 2.8 करोड़ कम महिलाएं नौकरी की तलाश कर रही हैं. इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, एनएसएसओ की पीरियाडिक लेबर फोर्स सर्वे (पीएलएफएस) 2017-18 की रिपोर्ट के अनुसार, यह संख्या 15-59 आयु...

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