भोपाल। प्रदेश में पिछले साल खराब हुई खरीफ फसलों के लिए हजारों किसानों को पात्र होते हुए भी प्रधानमंत्री फसल बीमा नहीं मिल पाया। सरकारी तंत्र की लापरवाही के चलते प्रभावित किसानों का फसल बीमा दावा ही नहीं बन पाया। दरअसल, राजस्व अधिकारियों ने फसल के बोए क्षेत्र और बीमित क्षेत्र का डाटा दर्ज करने में लापरवाही बरती। नतीजा यह हुआ कि बीमा कंपनियों में इनके दावे ही प्रस्तुत नहीं हो...
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बापू के नाम एक चिट्ठी-- योगेन्द्र यादव
बापू, आपको यह चिठ्ठी मैं आपके जन्मदिन पर आपके ही आश्रम से लिख रहा हूं. 100 साल पहले चंपारण सत्याग्रह के केंद्र के रूप में आपने भीतरवाह में यह केंद्र बनाया था. आश्रम की इमारत अब भी कायम है. अब भी उसे कंक्रीट और संगमरमर से ढका नहीं गया है. आश्रम की काया में आपकी सादगी आज भी झलकती है. चंपारण सत्याग्रह की याद में बना संग्रहालय दरिद्र, बेतरतीब और...
More »पशुपालन से टूटता मोह--- रीता सिंह
यह चिंताजनक है कि कृषि प्रधान देश भारत में पशुपालन के प्रति लोगों की अरुचि बढ़ती जा रही है। मवेशियों की संख्या में लगातार गिरावट हो रही है। आजादी के बाद से 1992 तक देश में मवेशियों की संख्या में लगातार इजाफा हुआ है। लेकिन उसके बाद इनकी संख्या में लगातार गिरावट दर्ज की गई है। 2007 में पशुओं की संख्या में मामूली वृद्धि हुई थी लेकिन उसके बाद इनकी...
More »महानंदा पर तटबंध से तबाही--- मणीन्द्र नाथ ठाकुर
हाल में प्रसिद्ध विद्वान अयाची मिश्र के गांव सरिसबपाही में मुख्यमंत्री के साथ मंच साझा करने का मौका मिला, तो नजदीक से उनको सुना. उनका कहना था कि 'हमें प्रकृति के साथ खिलवाड़ नहीं करना चाहिए; प्रकृति हमें इसकी सजा देती है.' अपने शोध के सिलसिले में कटिहार के कदवा प्रखंड में महानंदा तटबंध के अंदर कुछ गांवों में घूमते हुए बाढ़ से प्रताड़ित लोगों से मिलने का मौका मिला....
More »सुरक्षित निवेश के सिमटते दायरे-- सतीश सिंह
मौद्रिक समीक्षा में केंद्रीय बैंक ने रेपो दर को कम करके पिछले दिनों छह प्रतिशत कर दिया। इसके तुरंत बाद भारतीय स्टेट बैंक ने बचत खाते में दिए जा रहे ब्याज दर को चार से घटाकर 3.5 प्रतिशत कर दिया। दूसरे निजी और सरकारी बैंकों ने भी बचत खाते पर दिए जा रहे ब्याज दर में कटौती की। निजी क्षेत्र के एचडीएफसी और आईसीआईसीआई जैसे दिग्गज बैंकों का नाम भी...
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