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एक पहल जल-जंगल के लिए

शिमला [ब्रह्मानंद देवरानी]। देर आयद, दुरुस्त आयद यह कहावत कोटखाई क्षेत्र के उन लोगों पर चरितार्थ होती है जिन्होंने वनों के अवैध कटान और जल संरक्षण के लिए बीड़ा उठाया है। संभव है कि छोटी सी ही सही, लेकिन इन लोगों ने वनों की अहमियत को समझकर जो पहल की है, निस्संदेह यह कदम जलवायु परिवर्तन के लिए उपयोगी होगी। वनों का अवैध कटान कर उस भूमि पर बागीचा लगाने के लिए बदनाम ऊपरी शिमला...

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निजी नलकूपों ने लगाया भूजल स्तर को ग्रहण

भोपाल। गर्मी के आते ही शहर में पानी की किल्लत शुरू हो गई है और नगर निगम मुख्यालय में अधिकारी अभी जल संकट से निपटने की योजना भी नहीं बना पाए हैं। करोद जैसी घनी आबादी में पानी की खरीदी बिक्री का खेल शुरू हो गया है। शहर में बढ़ते नलकूपों के खनन ने भूजल स्तर को ऐसा ग्रहण लगाया है कि कई बस्तियों में पानी के लिए हाहाकार की स्थिति बन रही है। जानकारी...

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सरकारी कागजों में स्लम का अकाल

अगर कोई पूछे कि मुंबई महानगर में झोपड़ बस्तियों को हटाने की दिशा में जो काम हो रहा है, उसका क्या असर पड़ा है तो इस सवाल का एक जवाब ये भी हो सकता है- आने वाले दिनों में झोपड़ बस्तियों की संख्या बढ़ सकती है. मुंबई महानगर का कानून है कि जो बस्ती लोगों के रहने लायक नहीं है, उसे स्लम घोषित किया जाए और वहां बस्ती सुधार की योजनाओं...

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दो प्राकृतिक जलस्त्रोतों के सैंपल फेल

शिमला : राजधानी के उपनगरों में दो प्राकृतिक जलस्त्रोतों से भरे गए पानी के सैंपल फेल हो गए है। स्वास्थ्य विभाग ने इन क्षेत्रों में पीलिया फैलने के बाद पानी के सैंपल भरे थे। जिला स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि नगर निगम को इनमें क्लोरिनेशन करने के निर्देश दिए गए हैं। उपनगरों में पीलिया के लगातार मामले सामने आने के बाद स्वास्थ्य विभाग द्वारा न्यू शिमला व मैहली में प्राकृतिक जलस्त्रोतों से भरे गए...

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