पिछले हफ्ते भारत में आर्थिक सुधार और भारतीय अर्थव्यवस्था के उदारीकरण के पच्चीस साल पूरे हुए। सरकार ने इस अवसर की अनदेखी की, और इसकी वजह समझना मुश्किल नहीं है: आर्थिक सुधार पीवी नरसिंह राव के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार ने शुरू किए थे, और तब भाजपा ने इसका पुरजोर विरोध किया था। (स्वदेशी जागरण मंच का वजूद आज भी है।) कल्पना करें कि 1991 में अटल बिहारी वाजपेयी...
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सरकार की पहल से गरीबी कम होगी: अरविन्द पनगढ़िया
जयपुर: जाने -माने अर्थशास्त्री तथा नीति आयोग के उपाध्यक्ष प्रो. अरविन्द पनगढिया ने आज कहा कि किसी भी सरकार का आकलन उसके कार्यकाल के दौरान हुई प्रगति पर आधारित होना चाहिए. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार की पहल से आने वाले वर्षो में आर्थिक वृद्धि की रफ्तार और तेज होगी और गरीबी कम होगी. उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार के ‘मेक इन इंडिया कार्यक्रम' के समक्ष कई चुनौतियां हैं. इसके...
More »शहरीकरण की विसंगतियां--- रमेश कुमार दूबे
शहरीकरण को लेकर सरकार का नजरिया यह है कि इस पर सियापा करने के बजाय इसे मौके के रूप में देखा जाना चाहिए। उसके मुताबिक शहरों में गरीबी दूर करने की ताकत होती है और हमें इस ताकत को और आगे बढ़ाना चाहिए ताकि आर्थिक समृद्धि का स्वत: प्रसार हो। सुख-सुविधाओं की मौजूदगी के चलते शहर सदा से मनुष्य के आकर्षण के केंद्र रहे हैं। आज की तारीख में तो ये...
More »ताकि हर बच्चे को मिले अच्छी शिक्षा-- हरिवंश चतुर्वेदी
संख्या के आधार पर देखा जाए, तो दुनिया में भारत की स्कूली शिक्षा-व्यवस्था चीन के बाद दूसरे स्थान पर होगी। देश के15 लाख स्कूलों में 26 करोड़ बच्चे पढ़ते हैं। इन 15 लाख स्कूलों में 11 लाख सरकारी और चार लाख प्राइवेट स्कूल हैं। प्राइमरी स्कूलों में पढ़ाने वाले अध्यापकों की संख्या 85 लाख है, जिनमें से 47 लाख अध्यापक सरकारी स्कूलों में कार्यरत हैं। हर वर्ष सालाना परीक्षाओं में जब...
More »अमेरिका ने जताया भारत की विकास दर पर संदेह
वाशिंगटन। भारत की साढ़े सात फीसद आर्थिक विकास दर बढ़ा-चढ़ाकर बताई गई हो सकती है। अमेरिकी विदेश मंत्रालय की एक रिपोर्ट में भारतीय सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के आंकड़ों पर यह संदेह जताया गया है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि मोदी सरकार आर्थिक सुधारों के अपने वादों को पूरा करने की दिशा में धीमी रही है। अलबत्ता, इसमें नौकरशाही और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआइ) के क्षेत्र में बाधाओं...
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