मुंबई: वित्त वर्ष 2017-18 के दौरान राष्ट्रीय सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर से अधिक तेजी से वृद्धि करने वाले 12 बड़े राज्य इसका फायदा रोजगार सृजन में नहीं उठा सके हैं. क्रिसिल (सीआरआईएसआईएल) की एक रिपोर्ट के अनुसार इन राज्यों की जीडीपी में वृद्धि मुख्यत: ऐसे क्षेत्रों में हुई है जिनमें रोजगार के कम अवसर होते हैं. क्रिसिल की यह रिपोर्ट ऐसे समय में आई है जब सेंटर फॉर...
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छत्तीसगढ़: ढाई साल में लगभग तीन हजार महिलाएं घरेलू हिंसा की शिकार
रायपुर: छत्तीसगढ़ में पिछले ढाई साल में लगभग तीन हजार महिलाएं घरेलू हिंसा की शिकार हुईं और पांच हजार से ज्यादा महिलाओं ने हेल्पलाइन के माध्यम से मदद मांगी. ये सभी अब निर्भया फंड से बनी महिला हेल्प लाईन (181) के माध्यम से अपनी लड़ाई लड़ रही हैं. हालांकि ऐसी महिलाओं की संख्या का अंदाज लगाना मुश्किल है जो मायके और ससुराल की बदनामी के डर से सारे जुल्म चुपचाप सहती...
More »राजकोषीय घाटे को नियंत्रित करने की चुनौती-- जयंतीलाल भंडारी
इस समय देश के समक्ष चालू वित्तीय वर्ष 2018-19 के दौरान बढ़े हुए राजकोषीय घाटे की चिंताएं मुंह बाए खड़ी हैं। वित्तीय वर्ष 2018-19 के बजट में राजकोषीय घाटे का लक्ष्य 6.24 लाख करोड़ रुपये या सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 3.3 प्रतिशत रखा गया था। नवंबर, 2018 के अंत तक यह 7.17 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया है, जो बजट अनुमान से करीब 15 प्रतिशत ज्यादा है। इसका...
More »एमएसपी बढ़े तो किसान की आमदनी भी बढ़े, कोई जरुरी तो नहीं !
समर्थन मूल्य के बढ़ने पर क्या इस बात की गारंटी हो जाती है कि किसान को ऊपज का लाभकर मूल्य ही जायेगा ? और, क्या न्यूनतम समर्थन मूल्य के बढ़वार का खाद्य-वस्तुओं की महंगाई से कोई सीधा रिश्ता है, जैसा कि अर्थशास्त्रियों का एक तबका अक्सर तर्क देता है ? अगर आप सोच रहे हैं कि हां, ऐसा हो सकता है तो फिर नीचे लिखे तथ्यों को गौर से पढ़िये- हो सकता है,...
More »कृषि क़र्ज़ माफ़ी उतनी ग़लत नीति नहीं है जितनी कि लोग सोचते हैं: अमर्त्य सेन
नई दिल्ली: प्रख्यात अर्थशास्त्री और नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन ने कहा कि कृषि कर्ज मांफी उतनी गलत या मूर्खतापूर्ण नीति नहीं है जितनी की लोग सोचते हैं. मिंट को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि मैं इस बात से सहमत नहीं हूं कि कर्ज माफी पूरी तरह से गलत नीति है. उन्होंने कहा, ‘कृषि संकट कई समस्याओं में से एक है. 1920 के दशक से ही हम इस पर चर्चा...
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