प्रचलित मान्यता है कि अधिकारियों तक सूचना नहीं पहुंच पाती कि कौन सा व्यक्ति भुखमरी की चपेट में आने वाला है, इसलिए किसी व्यक्ति की भुखमरी से मौत हो जाती है। लेकिन जब प्रशासन को पहले से खबरदार किया जा चुका हो फिर भी किसी की भुखमरी से मौत हो तो क्या यह किसी की हत्या करने सरीखा नहीं माना जाएगा? एशियन ह्यूमन राईटस् कमीशन की एक हालिया रिपोर्ट से पता चलता है उड़ीसा में...
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अच्छी फसल के लिए चढ़ायी बच्ची की बलि
रायपुर, 3 जनवरी (एजेंसी) छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में अच्छी फसल के लिए दो ग्रामीणों ने मिलकर एक सात वर्षीय बच्ची की बलि चढ़ा दी। पुलिस ने दोनों ग्रामीणों को गिरफ्तार कर लिया है। बीजापुर के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक बीपीएस राजभानू ने आज ‘भाषा‘ को फोन पर बताया कि बीजापुर शहर में अच्छी फसल के लिए बच्ची की बलि चढ़ाने के मामले में पुलिस ने दो लोगों पदम सुक्कू और पिगनेश...
More »पीड़ा के जंगल में आदिवासी- अनिल चमड़िया
जनसत्ता 24 दिसंबर, 2011 : आजादी के बाद आदिवासी ने क्या हासिल किया, इस विषय पर राजस्थान के बूंदी में दो दिन की चर्चा थी। इस अवसर पर किसी वक्ता ने यह नहीं कहा कि अंग्रेजों के जाने के बाद आदिवासियों की जीवन-दशा में किसी किस्म का बुनियादी बदलाव आया है। फिर आदिवासियों की उम्मीद और इस व्यवस्था के प्रति भरोसे को लेकर एक प्रस्ताव पारित किया गया। प्रस्ताव में...
More »निगमानंद मामले को बंद करने की सीबीआई की रिपोर्ट
देहरादून, 29 दिसम्बर (एजेंसी) हरिद्वार के मातृसदन के स्वामी निगमानंद की आमरण अनशन के बाद कोमा के दौरान हुई मृत्यु की जांच कर रही सीबीआई ने विशेष अदालत में क्लोजर रिपोर्ट पेश की है। सीबीआई सूत्रों ने आज यहां बताया कि पूरे मामले की जांच के बाद सीबीआई ने कल न्यायालय में क्लोजर रिपोर्ट लगा दी है। इस मामले में जांच के बाद पाया गया है कि निगमानंद को अनशन के दौरान जहर नहीं...
More »भ्रष्टाचार के रास्ते- कुमार प्रशांत
जनसत्ता 13 दिसंबर, 2011: जयप्रकाश नारायण ने 1974 में, जब वे कई सारे सवालों के साथ-साथ भ्रष्टाचार का भी सवाल उठा कर सारे देश में आंदोलन खड़ा करने में लगे थे, एक गहरा और मार्मिक लेख लिखा था। इसका शीर्षक था:‘क्या नैतिक ताने-बाने के बिना भी कोई देश बना रह सकता है?’ इसमें उन्होंने मुख्य रूप से दो बातें कही थीं। एक,भ्रष्टाचार ऊपर से नीचे की तरफ चलता है। सत्ता-संपत्ति-अधिकार...
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