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जहां ‘मिस्टर’ से ‘महात्मा’ बने गांधी

जिस समय मोहनदास करमचंद गांधी दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद, नस्लभेद और उपनिवेशवादी शोषण के विरुद्ध सामाजिक आंदोलन चला रहे थे, उसी समयावधि में भारत में एक समाज सुधारक अपना सर्वस्व त्याग कर विदेशी शिक्षा, अस्पृश्यता, असमानता, जातिवाद, अशिक्षा, राजनीतिक पराधीनता, अंधविश्वास, पाखंड आदि के विरुद्ध सामाजिक क्रांति कर रहा था। उनका नाम था- महात्मा मुंशीराम (संन्यास नाम स्वामी श्रद्धानन्द), जो हरिद्वार के निकट कांगड़ी नामक गांव में 1902 में गंगा...

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स्मार्टफोन से है प्राइवेसी को सबसे ज्यादा जोखिम: नीलेकणि

बेंगलुरु। आधार को लेकर बीते दिनों से कई तरह की खबरें आ रही हैं। पैन कार्ड के लिए आधार अनिवार्य करने का सरकार का फैसला कोर्ट तक पहुंच गया है, वहीं आधार कार्ड में दर्ज जानकारी लीक होने की खबरें भी आई हैं। इस बीच, देश में आधार कार्ड को हकीकत बनाने वाले यूआईडीएआई के पूर्व प्रमुख और इंफोसिस के सह-संस्थापक नंदन नीलेकणि का कहना है कि स्मार्टफोन से लोगों...

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प्लास्टिक से ढकी झोपड़ी में पढ़ रहा देश का भविष्य, ऐसे आगे बढ़ेगा इंडिया !

कोतबा। प्रशासनिक उदासीनता और शिक्षा विभाग द्वारा ध्यान न देने के कारण लंबे समय से ग्राम पंचायत कुकरगांव के ढोढ़ीडीह में संचालित प्राथमिक शाला के बच्चे प्लास्टिक से ढके झोपड़ी में रहकर अध्यापन कर रहे हैं। शिक्षा विभाग की ओर से यहां भवन निर्माण किया गया है लेकिन दो कमरे के भवन होने के कारण सभी बच्चे उक्त भवन में रहकर पढाई नहीं कर सकते। ग्राम कुकरगांव की यह तस्वीर जिले में...

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आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की लापरवाही, एक ही मां की तीनों बेटियां कुपोषित

शहडोल। सरकार जहां कुपोषण मिटाने के लिए पानी की तरह पैसा बहा रही है वहीं कुपोषण को मिटाने के लिए जिम्मेदार विभागीय अधिकारी लापरवाहीपूर्ण रवैया अपना रहे हैं। अभी हाल ही में जिले के गोहपारू ब्लॅाक के खांड गांव का मामला सामने आया है। इस गांव में एक ही मां की कोख से जन्मी तीनों बेटियां कुपोषण का दंश झेल रही हैं। यहां की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ने इस ओर गंभीरता नहीं दिखाई...

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भ्रष्टाचार की गहरी जड़ें-- मोनिका शर्मा

नीति आयोग के सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज की ग्यारहवीं इंडिया करप्शन स्टडी-2017 की रिपोर्ट में सामने आया है कि भ्रष्टाचार का जाल आज भी आम आदमी के लिए मुसीबत बना हुआ है। इस रिपोर्ट के मुताबिक पिछले साल इकतीस फीसद लोगों को स्कूल, अदालत, बैंक या अन्य कामों के लिए दस रुपए से लेकर पचास हजार रुपए तक की रिश्वत देनी पड़ी है। आंकड़े बताते हैं कि 2005 में तिरपन...

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