जनसत्ता 2 अक्टुबर, 2012: महात्मा गांधी ने दुनिया को कोई नया वाद या सिद्धांत देने का दावा नहीं किया। उन्होंने तो अपने आचरण से वह मार्ग दिखाया जिस पर चल कर समस्त प्राणियों की हित-साधना की जा सकती है। इसीलिए उन्होंने कहा कि ‘मेरा जीवन ही संदेश है।’ तब प्रश्न यह आता है कि इस संदेश या मार्ग को किन शब्दों के सहारे समझा जाए? जहां तक मैंने समझा है,...
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लूट की छूट- आशीष खेतान
छत्तीसगढ़ में प्राकृतिक संसाधनों का अकूत भंडार है, लेकिन ऐसा लगता है कि इसका फायदा सिर्फ उन्हीं लोगों को हो रहा है जिन पर मुख्यमंत्री रमन सिंह की कृपादृष्टि है. आशीष खेतान की रिपोर्ट. साल 2011 की बात है. दीवाली का मौका था. छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में चर्चित अखबार ‘पत्रिका’ के स्थानीय संपादक गिरिराज शर्मा के पास एक विशेष उपहार पहुंचा. राज्य के मुख्यमंत्री रमन सिंह के कार्यालय की तरफ से...
More »300 लखपतियों की पंचायत है बांक
देवघर के मोहनपुर प्रखंड का सबसे समृद्घशाली पंचायत है यह. घोरमारा पेड़ा बाजार है इस पंचायत का प्रमुख उद्योग. देश-विदेश के लोग रुकते हैं पंचायत में. उमेश यादव मोहनपुर प्रखंड का बांक पंचायत. इस पंचायत की नाम जितनी छोटी है, दर्शन उतने ही बड़े हैं. तीन प्लेटफॉर्म वाला रेलवे स्टेशन, स्टेट हाइवे, डाकघर, दो-दो बैंक शाखाएं, प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय, उच्च विद्यालय, डाक बंगला, बड़े-बड़े तालाब, एक महीने में 10 करोड़ से अधिक...
More »फूटा महंगाई बम,डीजल 5 रूपये महंगा
हर वस्तुओं के दाम पर असर डीजल में मूल्यवृद्धि के परिणामस्वरूप रांची में ग्राहकों को जहां अभी 43.18 रुपये प्रति लीटर चुकाने पड़ते थे, वहीं अब 48.18 रुपये चुकाने होंगे. वहीं बाजार दर पर रसोई गैस की कीमतें लगभग 750 रुपये हो जायेगी. पेट्रोलियम कंपनियां प्रति माह रसोई गैस की कीमतों का निर्धारण करेगी. इस मूल्यवृद्धि से कृषि लागत सहित सभी प्रकार के वस्तुओं की कीमतों में इजाफा हो जायेगा. साथ ही...
More »पर्यावरण भी हो विकास का मानक- अनिल पी जोशी
हमने विकास का सबसे बड़ा मापदंड सकल घरेलू उत्पाद की दर को माना है। किसी भी देश की प्रगति उसकी जीडीपी के आधार पर तय की जाती है। इसमें उद्योग, सुविधाएं, रियल इस्टेट बिजनेस, सेवाएं आदि मुख्य रूप से आते हैं। सही मायने में खेती को ही जीडीपी या उत्पादन की श्रेणी में आना चाहिए, क्योंकि अन्य उत्पाद हमारी सुविधाओं से जुड़े हैं, न कि आवश्यकताओं से। विकास की मौजूदा अवधारणा...
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