जनसत्ता 3 अक्तूबर, 2013 : बरसों-बरस से जिसकी मांग की जा रही थी, वह संसद से भले न मिल सका, न्यायालय से तो मिला! भारतीय मतदाता को यह अधिकार मिला कि वह चुनाव में विभिन्न पार्टियों द्वारा खड़े किए गए उम्मीदवारों को अपने विवेक की कसौटी पर कसे और अगर उसे लगे कि सभी एक ही थैली के चट्टे-बट्टे हैं तो वह सबको रद्द करने का बटन दबा सके। मतलब...
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कार्ड का 'आधार'?, सर्वोच्च न्यायालय पहुंची सरकार
नई दिल्ली। केन्द्र ने आज उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाते हुए आधार कार्ड पर पूर्व में दिये गए उस आदेश में बदलाव करने की मांग की है जिसमें शीर्ष अदालत ने कहा था कि आधार कार्ड अनिवार्य नहीं है और किसी भी व्यक्ति को इस आधार पर किसी सरकारी योजना से वंचित नहीं किया जा सकता। उच्चतम न्यायालय में प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति पी सदाशिवम की पीठ ने आज कहा कि केन्द्र...
More »दमनकारी पितृसत्ता की परतें- विकास नारायण राय
जनसत्ता 27 सितंबर, 2013 : ग्वालियर की एक कार्यशाला में एक कार्यकर्ता ने चंबल क्षेत्र में राज्य सरकार के ‘बेटी बचाओ’ अभियान से चिढ़े अभिभावक की प्रतिक्रिया बताई, ‘‘का हम अपनी मोढिन को मार न सकत।’’ मोढी यानी बेटी। क्या हम अपनी पत्नी को भी नहीं पीट सकते; यह हर भारतीय मर्द की अंदर की आवाज होती है। हर बाप अपनी बेटी को संपत्ति से वंचित करता ही है। हरियाणा में...
More »केंद्रीय ग्रामीण विकास रिपोर्ट 2012-13
केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री श्री जयराम रमेश ने आज यहां अपने मंत्रालय की 2012-13 की रिपोर्ट जारी की। इस अवसर पर योजना आयोग के सदस्य डॉ. मिहिर शाह और आईडीएफसी फाउंडेशन के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. राजीव लाल ने भी रिपोर्ट के मुख्य बिन्दुओं पर प्रकाश डाला। बाद में ग्रामीण आजीविका को बढ़ावा देने पर विचार-विमर्श भी हुआ। श्री जयराम रमेश ने सरकारी कार्यक्रमों के अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में प्रभावी नहीं होने...
More »विदेश में इलाज का मर्ज- मृणालिनी शर्मा
जनसत्ता 26 सितंबर, 2013 : भारत सरकार के कार्मिक मंत्रालय ने हाल ही में चुपके से एक फैसला लिया है, जिसके अनुसार भारतीय प्रशासनिक सेवा, पुलिस सेवा और वन सेवा जैसी अखिल भारतीय सेवाओं के लगभग पांच हजार कर्मचारी अपने इलाज के लिए विदेश जा सकते हैं। विदेश जाने का हवाई किराया और वहां दो महीने तक रहने का खर्च भी सरकार उठाएगी। दो महीने की यह अवधि अगर जरूरी...
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