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भारत में न्याय अब एक ऐसा शब्द है जो अपना मतलब खोता जा रहा है

-सत्याग्रह, साल 2000 में अपने एक व्याख्यान में चर्चित अर्थशास्त्री टीएन श्रीनिवासन ने कहा था कि ‘भारत में अगर कोई गरीब है तो इसकी ज्यादा संभावना है कि वह किसी ग्रामीण इलाके में रह रहा होगा, अनुसूचित जाति या जनजाति या फिर सामाजिक रूप से पिछले वर्ग से ताल्लुक रखता होगा, कुपोषित, बीमार या फिर कमजोर स्वास्थ्य वाला होगा, अनपढ़ या फिर कम पढ़ा-लिखा होगा और कुछ खास राज्यों (जैसे बिहार,...

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यूपी : धान का सरकारी रेट 1888, किसान बेच रहे 1100-1200, क्योंकि अगली फसल बोनी है, कर्ज देना है

-गांव कनेक्शन, उत्तर प्रदेश में पीलीभीत जिले के रहने वाले किसान जरनैल सिंह (50 वर्ष) अपना एक ट्राली धान लेकर पलिया मंडी बेचने गए थे लेकिन धान नहीं बिका। उन्हें वापस मायूस होकर घर लौटना पडा। रास्ते में उनकी मुलाकात गांव कनेक्शन से हुई। जरनैल सिंह बताते हैं, "एक ट्राली धान ले गए थे, लेकिन किसी व्यापारी ने खरीदा ही नहीं। जो रेट दे रहे थे वो 1000-1100 रुपए कुंतल का...

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पलवल की बधिर बेटी के नाम पत्र

25 अगस्त को हरियाणा के पलवल जिले में दस साल की बधिर बच्ची का अपहरण कर बलात्कार करने के बाद हत्या कर दी गई. उस बच्ची की मां, बहन और भाई भी सुन नहीं सकते. टाइम्स ऑफ इंडिया में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक, जब उसके परिवार ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराने की कोशिश की तो पुलिस ने उन्हें भगा दिया गया. मूक-बधिर लोगों के खिलाफ अपराध और खास कर मूक-बधिर बच्चों के...

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कम ही लोग जानते हैं कि चे गेवारा भारत आए थे और न के बराबर यह कि वे यहां क्या करने आए थे

-सत्याग्रह, वे छह महीने पहले क्यूबा में हुई सशस्त्र क्रांति के बड़े नायक थे. सरकार के गठन के बाद राष्ट्रपति फिदेल कास्त्रो ने उन्हें तीसरी दुनिया के देशों से संबंध कायम करने का जिम्मा सौंपा. क्यूबा की क्रांति के दूत बनकर चे ने कई देशों की यात्रा की. भारत सरकार से उन्हें खास बुलावा था, जिसने फिदेल कास्त्रो की सरकार को फौरन मान्यता दी थी. मिस्र होते हुए चे गेवारा भारत...

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जेएनयू हिंसा: नौ महीने बाद कहां पहुंची जांच

-न्यूजलॉन्ड्री, “बहुत ही मायूसी है. जिस तरह से इस घटना से यूनिवर्सिटी का डेमोक्रेटिक स्पेस गिरा था, उसे यूनिवर्सिटी और प्रशासन ने वापस सही करने की कोशिश नहीं की. और फिलहाल तो हमें कोई उम्मीद भी नजर नहीं आ रही क्योंकि बिना इनकी मिलीभगत के यूनिवर्सिटी में इतना कुछ होना संभव नहीं हैं. नौ महीने में 0.9 प्रतिशत भी केस आगे नहीं बढ़ा है.” जवाहर लाल नेहरू यानी जेएनयू के छात्रसंघ महासचिव...

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