SEARCH RESULT

Total Matching Records found : 1391

ताकि बैंकों की साख कायम रहे- एन के सिंह

हेनरी पॉलसन के मुताबिक, 'अगर कोई आर्थिक-तंत्र बिखरता है, तो फिर उसे पटरी पर लाना वाकई बहुत-बहुत मुश्किल हो जाता है।' भारत का वित्तीय क्षेत्र अभी गंभीर संकट में उलझा हुआ है। और यह संकट मुख्यत: सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों, यानी एनपीए के कारण पैदा हुआ है। 31 दिसंबर, 2015 तक 24 सूचीबद्ध सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का कुल एनपीए 3,93,035 करोड़ रुपये था।   अगर इसमें जोखिम वाले...

More »

स्कूल शिक्षा विभाग की लापरवाही से अटका अध्यापकों का वेतन

भोपाल। प्रदेश के दो लाख अध्यापकों का मार्च माह का वेतन वित्त और स्कूल शिक्षा विभाग की लापरवाही से अटका है। इन विभागों के अधिकारी वेतन वितरण की व्यवस्था बनाने में लगे रहे और वेतन लेट हो गया। अध्यापकों को छठवें वेतनमान का लाभ देने को लेकर भी ऐसे ही हालात हैं। वित्त विभाग ने अध्यापकों के बजट मद में परिवर्तन कर दिया है। विभाग के अधिकारियों के मुताबिक ऐसा...

More »

हरित ऊर्जा को सस्ता बनाना ही समाधान- ब्योर्न लॉम्बॉर्ग

आज दुनिया भर के तमाम नेता अब तक के सबसे खर्चीले जलवायु परिवर्तन समझौते पर हस्ताक्षर करने वाले हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इन नेताओं में शामिल होंगे। मगर सच यही है कि पेरिस समझौते की जितनी कीमत हम चुकाने वाले हैं, उसकी उपलब्धि उतनी ही कम रहने वाली है। इस समझौते में औसत वैश्विक तापमान में हो रही वृद्धि को औद्योगिक युग के पहले के स्तर से दो डिग्री...

More »

अब चूके तो हाथ धो बैठेंगे पानी से- अनिल जोशी

पूरे देश में पानी को लेकर झगड़े शुरू हो चुके हैं। कहीं धारा-144 लगी है, तो कहीं बंदूकों के साये में पानी की चौकीदारी हो रही है। जगह-जगह पानी पर ताले लगे हैं। कई जगह रसूखदारों और दबंगों ने पानी पर अपना अधिकार जमा लिया है। पहले फसल चौपट हुई थी और अब लोगों को पीने का पानी तक नहीं मिल रहा। पानी तो खैर पहले भी बिकता था, अब...

More »

कैसे भूल सकते हैं चंपारण सत्याग्रह- के सी त्यागी

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की अतुल्य विरासत को अजर-अमर बनाने की दिशा में जो प्रयास हो रहे हैं, वे न सिर्फ सराहनीय हैं, बल्कि प्रेरणादायक भी हैं। पिछले दिनों बिहार सरकार ने गांधीजी के चंपारण सत्याग्रह की सौवीं वर्षगांठ मनाने का फैसला एक सर्वदलीय बैठक में किया। महात्मा के नाम पर राजनीतिक मतभेद न होना, इस बड़े फैसले का सुखद पहलू रहा। 10 अप्रैल, 1917 को पहली बार महात्मा गांधी बिहार...

More »

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close