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ग्रामीणों के लिए दोहरी मार साबित होगी कोरोना महामारी

-डाउन टू अर्थ, कोरोनावायरस (कोविड-19) बीमारी की वजह से हमारे समाज की असमानता सामने नहीं आई है। मुक्त बाजार काल में इसे अस्तित्व के खतरे के तौर पर पहले ही स्वीकार किया जा चुका है। कोरोनावायरस की वजह से यह जरूर स्पष्ट हुआ है कि आर्थिक रूप से हाशिए पर खड़े लोगों को स्वास्थ्य आपातकाल का सामना कैसे करना पड़ेगा। उदाहरण के लिए, अगर हम अमेरिका की बात करें तो कई...

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आवरण कथाः अर्थव्यवस्था पर कोरोना का कहर

-इंडिया टूडे, पश्चिम एशिया में मंडराते युद्ध के बादल छंटने लगे थे, अमेरिका ने ईरान के खिलाफ अपने रुख में नरमी के संकेत देने शुरू ही किए थे कि दुनियाभर में एक दूसरी आपदा ने पैर पसार लिए. 12 मार्च तक, नए कोरोना वायरस कोविड-19 से 120 देशों और विभिन्न क्षेत्रों के 1,31,571 लोग संक्रमित हो चुके थे और दुनियाभर में 4,936 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी थी. चीन...

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बीमार की बीमारी: भारत, वायरल रोगों का सबसे बड़ा शिकार

-इंडिया टूडे, भारत में स्वाइन फ्लू के ताजा इतिहास पर नजर डालनी चाहिए ताकि हम समझ सकें कि कोरोना या कोविड-19 हमारा क्या हाल कर सकता है, जहां का स्वास्थ्य ढांचा वियतनाम और ब्राजील से भी पिछड़ा है. स्वाइन फ्लू इक्कीसवीं सदी की पहली घोषित आधुनिक महामारी थी. भारत में 2009 से 2019 के बीच स्वाइन फ्लू से 10,614 मौतें हो चुकी हैं और 1.37 लाख लोग बीमार हुए. यह तबाही अभी...

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आर्थिक निराशा में घिरा बहुसंख्यकवादी देश बन गया है भारतः मनमोहन सिंह

-बीबीसी हिंदी, भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने एक संपादकीय लेख में कहा है कि भारत उदारवादी लोकतंत्र के वैश्विक उदाहरण से आर्थिक निराशा में घिरा बहुसंख्यकवादी देश बन गया है. द हिंदू में प्रकाशित संपादकीय में मनमोहन सिंह ने कहा कि वो भारी मन से ये बात लिख रहे हैं. मनमोहन सिंह ने कहा कि भारत इस समय सामाजिक द्वेष, आर्थिक मंदी और वैश्विक स्वास्थ्य महामारी के तिहरे ख़तरे का सामना...

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भुखमरी-एक आकलन

 खास बात   - साल 1990 में भारत का जीएचआई अंक 32.6 था, साल 1995 में यह अंक 27.1, साल 2000 में 24.8, साल 2005 में  24.0 तथा साल 2013 में 21.3 था। साल 2013 में भारत का जीएचआई अंक(21.3) चीन (5.5), श्रीलंका (15.6), नेपाल (17.3), पाकिस्तान (19.3) और बांग्लादेश (19.4) से बदतर है।@ -साल १९८३ में देश के ग्रामीण अंचलों में प्रति व्यक्ति प्रति दिन औसत कैलोरी उपभोग २३०९ किलो कैलोरी का था जो साल १९९८ में घटकर २०१०...

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