अपनी वीरता और जुझारूपन के लिए प्रसिद्ध बुंदेलखंड में कई सालों के सूखे, इसके चलते पैदा कृषि संकट और इनसे निपटने की योजनाओं में भ्रष्टाचार ने पलायन और आत्महत्याओं की एक अंतहीन श्रृंखला को जन्म दे डाला है. - रिपोर्ट रेयाज उल हक बुंदेलखंड को मिले 3,506 करोड़ रुपए के पैकेज से महोबा जिले के पवा गांव की रामकली को समय पर और नियमित रूप से राशन मिल जाने की कम...
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बेहाल बुंदेले बदहाल बुंदेलखंड - 2
सही है कि पूरे बुंदेलखंड में लगभग 2 लाख 80 हजार कुओं में से अधिकतर बेकार पड़ गए हैं - या तो मरम्मत के अभाव में वे गिर गए हैं या वे सूख गए हैं- लेकिन थोड़े-से रुपए खर्च करके उन्हें फिर से उपयोग के लायक बनाया जा सकता है. मगर पंचायतों और अधिकारियों का सारा जोर नए कुएं-तालाब खुदवाने पर अधिक रहता है. एेसा इसलिए होता कि इनमें ठेकेदारों,...
More »लोगों ने सूदखोरों के खिलाफ मोर्चा खोला
देवघर, मधुपुर। मधुपुर अनुमंडल क्षेत्र के लोगों ने सूदखोरों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। सोमवार को लोगों ने अनुमंडल पदाधिकारी के खिलाफ नारेबाजी की। सभी पीड़ित हाथों में तख्ती लिए हुए थे। मौके पर पीड़ित दर्जनों लोगों द्वारा हस्ताक्षरित राज्यपाल के नाम प्रेषित ज्ञापन को अनुमंडलाधिकारी को सौंपा। राज्यपाल के नाम लिखित पत्र में पीड़ितों ने न्याय दिलाने की मांग करते हुए सूदखोरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की गुहार लगायी...
More »हरियाणा और पंजाब से लेना होगा सबक
चंडीगढ़ [भारत डोगरा]। आज से चार-पांच दशक पहले हरित क्रांति के नाम पर भारतीय कृषि में बड़े बदलाव हुए तो इनका सबसे बड़ा केंद्र पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश की उपजाऊ पट्टी को बताया गया, जहां पानी की भी कोई कमी नहीं थी। इस क्षेत्र को भारत के खाद्यान्न कटोरे के रूप में विकसित करने पर बहुत निवेश हुआ और सिंचाई, रासायनिक खाद आदि व इनसे जुड़ी सब्सिडी का अधिकांश खर्च...
More »सामुदायिक सिंचाई से सपने लहलहाए
कुचायकोट [गोपालगंज, मनोज राय]। सवनहीं जगदीश गांव के कन्हैया सिंह, वीरेन्द्र सिंह, दुखी सिंह, महावीर सिंह और मंगल सिंह, ये पांच किसान हैं, जिन्होंने वर्ष 2001 में सामुदायिक सिंचाई की छोटी-सी पहल की थी। दस बरस में यह प्रयास कुछ यूं रंग लाया कि सामुदायिक सिंचाई अब कृषि विकास का 'माडल' बन चुका है। पैदावार भी अच्छी होने लगी और मानसून पर से निर्भरता भी घटी। सिंचाई व्यवस्था की इस...
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