पूर्व मुख्यमंत्री सह झाविमो सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी ने कहा कि देश में सामाजिक उथल-पुथल की स्थिति है. हर आदमी खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहा है. जगह-जगह सांप्रदायिक हिंसा दिखायी पड़ रही है. स्वतंत्रता के बाद पहली बार देश बंटा हुआ दिख रहा है. मानवीय विकास के पैमाने पर ही राज्य का विकास देखा जाता है. राज्य में मानवीय विकास की स्थिति दयनीय है. यही वजह है कि लोग...
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अगले दो साल में दिल्ली, बेंगलुरू और हैदराबाद समेत 21 शहरों में नहीं बचेगा एक भी बूंद पानी
जिस भारत को अपनी विशाल नदियों पर गर्व था वह इस समय अपने इतिहास के सबसे गंभीर जल संकट का सामना कर रहा है। देश में करीब 60 करोड़ लोग पानी की किल्लत से जूझ रहे हैं। इससे भी बढ़कर बात यह है कि अगले दो साल में नई दिल्ली, बेंगलूरू और हैदराबाद जैसे देश के 21 शहरों में जमीन के नीचे मौजूद पानी के भंडार सूख जाएंगे। इससे करीब...
More »बर्बरता पर रोक लगाना जरूरी-- पवन के वर्मा
कभी-कभी मैं महसूस करता हूं कि गणतंत्र में जो कुछ बिल्कुल ही अस्वीकार्य है, वह अब सामान्य-सा होता जा रहा है. जब पहली बार पशु व्यवसायियों पर हमले हुए, तो वे समाचार बने, मगर यह इतनी दफा होने लगा कि शुरुआती सदमा समाप्त हो चला है. इन वारदातों की खबरें और टिप्पणियां अब चलताऊ किस्म की होती हैं. यदि हम यह यकीन करते हैं कि भारत विश्व का सबसे बड़ा...
More »मजदूर दिवस पर बोले ज्यां द्रेज़- NREGA को जिंदा रखने के लिए मजदूरी दर बढ़ाना जरूरी
मजदूर दिवस यानी मे डे के मौके पर सरकार कई दावे कर रही है. सरकारी आंकड़ों में कहा जा रहा है कि भारत की अर्थव्यवस्था उच्च दर से बढ़ रही है. लेकिन, जाने-माने अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज़ इससे इत्तेफाक नहीं रखते. उनका मानना है कि वास्तव में विकास की दर नहीं, बल्कि लोगों के जीवन स्तर में सुधार यह तय करती है कि देश कितनी तरक्की कर रहा है. ज्यां द्रेज़ सोनिया...
More »तेल के अर्थशास्त्र में उलझा देश-- दीपक नैय्यर
पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतें इन दिनों खबरों में हैं। मई के दूसरे पखवाड़े में पेट्रोल और डीजल के खुदरा मूल्य लगातार 16 बार बढ़े। 28 मई को तो ये पिछले चार वर्षों के सबसे ऊंचे स्तर पर जा पहुंचे थे। हालांकि 29 मई को प्रति लीटर एक पैसे की कमी की गई थी, जिसे मजाक ही कहा जा सकता है। इसके बाद 5 जून तक हर दिन इसकी कीमतें कुछ-कुछ...
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