लुधियाना। बेशक वाहनों के धूएं और इंडस्ट्री को पर्यावरण प्रदूषित करने के लिए सर्वाधिक जिम्मेदार ठहराया जाता हो लेकिन खेती भी प्रदूषण बढ़ाने में पीछे नहीं है। जंगलो की कटाई एवं भूमि का खेती के लिए उपयोग बीते डेढ़ दशक में पर्यावरण प्रदूषित करने का बड़ा कारण बना है। विकासशील देशों का हिस्सा इसमें ज्यादा है। कुछ ऐसी ही चीजों पर विचार किया पंजाब एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी (पीएयू) में पहुंचे वैज्ञानिकों ने।...
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लागत भी कम, और फसल भी ज्यादा
जालंधर/अलावलपुर। जालंधर जिले के कुछ किसानों ने गेहूं की परंपरागत ढंग से बिजाई से किनारा कर लिया है। गेहूं की बिजाई के लिए पराली कोजलाने की बजाय इन्होंने इस पर ही बिजाई की है। जिले में इस बार 165 एकड़ पर गेहूं की बिजाई इस तरीके से की गई है। हालांकि अभी यह क्षेत्र कम है, लेकिन खेती के माहिर इसे अच्छी शुरुआत बता रहे हैं। जिले में हर साल में...
More »1 पैसे प्रति लीटर में शुद्ध होगा पानी
इंदौर. गंगा-यमुना हों या खान नदी..सभी मैली हो चुकी हैं। इनके पानी में प्रदूषण हद से गुजर चुका है। परंतु राहत की बात यह है कि इनका पानी सिर्फ एक पैसे प्रति लीटर में शुद्ध किया जा सकता है। हाल ही में केंद्र सरकार को सौंपी गई गंगा नदी घाटी प्रबंधन योजना की रिसर्च रिपोर्ट में यह तथ्य बताया गया है। यह रिपोर्ट आईआईटी कानपुर में इन्वायरन्मेंट इंजीनियरिंग मैनेजमेंट साइंस के...
More »अनुत्तरित रहा पर्यावरण का प्रश्न- सुनीता नारायण
इसमें कोई संदेह नहीं कि कानकुन बैठक से दुनिया के देशों को बहुत कम उम्मीद थी और नतीजा भी ठीक वैसा ही रहा। कोपेनहेगन बैठक में शेष विश्व और औद्योगिक देशों के बीच जिन बिंदुओं को लेकर तकरार थी उनका कोई समाधान नहीं निकला। अब चर्चा का बिंदु इस पर है कि किसे कितना ज्यादा प्रदूषण फैलाने का अधिकार है अथवा होना चाहिए। आर्थिक लाभ और पर्यावरण संतुलन को लेकर पूरा विश्व...
More »हिमाचल प्रदेश में उद्योगों के कचरे का अल्लाह मालिक!
शिमला . प्रदेश में उद्योगों से निकलने वाले औद्योगिक कचरे को यहां-वहां फेंका जा रहा है। इस पर चेक के लिए सरकार कोई कड़े कदम नहीं उठा रही है। प्रतिमाह 850 औद्योगिक इकाइयों से करीब पांच हजार मीट्रिक टन खतरनाक औद्योगिक कचरा निकलता है। इसमें से मात्र 700 मीट्रिक टन ही सही ढंग से निपटाया जा रहा है। बाकी का कचरा इधर-उधर फेंक दिया जाता है। 850 उद्योगों में एक बड़ी...
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