जनसत्ता 14 अक्तबूर, 2013 : मुक्ति के दरवाजे खोलने वाले विशेष महापुरुषों और धर्मात्माओं की सूची बनाई जाए तो एक दर्जन ऐसी हस्तियां तो रही होंगी, जिनके आह्वान पर लाखों लोगों ने चलना स्वीकार किया। उन शख्सियतों के द्वारा किए गए आह्वान, उनके प्रेरक विचारों, उनके संघर्षों के दस्तावेजों के पन्नों की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती जाती है। यूरोप के इतिहास को देखें तो मार्टिन लूथर किंग ने गोरों की क्रूर परंपराओं...
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खाद्य तेलों को महंगा करने की तैयारी
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। प्याज का मूल्य थमने से पहले ही खाद्य तेलों में तेजी की तैयारी शुरू हो गई है। सरकार रिफाइंड खाद्य तेलों के आयात शुल्क में ढाई फीसद की वृद्धि करने जा रही है। इससे त्योहारी सीजन में खाद्य तेलों में महंगाई भड़कने की आशंका है। पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव की घोषणा के साथ यह फैसला सरकार के गले की हड्डी बन सकता है। खाद्य मंत्रालय ने...
More »इनकार का मताधिकार- कुमार प्रशांत
जनसत्ता 3 अक्तूबर, 2013 : बरसों-बरस से जिसकी मांग की जा रही थी, वह संसद से भले न मिल सका, न्यायालय से तो मिला! भारतीय मतदाता को यह अधिकार मिला कि वह चुनाव में विभिन्न पार्टियों द्वारा खड़े किए गए उम्मीदवारों को अपने विवेक की कसौटी पर कसे और अगर उसे लगे कि सभी एक ही थैली के चट्टे-बट्टे हैं तो वह सबको रद्द करने का बटन दबा सके। मतलब...
More »10 हजार गांवों में नहीं पहुंची बिजली
पटना: मधेपुरा जिले के मुरलीगंज प्रखंड की रजनी पंचायत. लगभग 20 हजार की आबादीवाली इस पंचायत में बिजली नहीं है. बिजली की आस में लोगों ने 10 साल पहले ही रसीद कटवायी. यहां के सांसद सत्ताधारी दल जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव हैं. विधानसभा क्षेत्र बिहारीगंज है, जहां का प्रतिनिधित्व उद्योग एवं आपदा प्रबंधन मंत्री डॉ रेणु कुमारी कर रही हैं. रजनी पंचायत महज बानगी है. राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण...
More »कहां खो गई गन्ने की मिठास- वी एम सिंह
सभ्य समाज पर मुजफ्फरनगर दंगा एक धब्बा है, जिसमें करीब 44 से अधिक लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। यह राजनीतिक पार्टियों का वोट बैंक एजेंडा तो हो सकता है, परंतु इससे पश्चिमी उत्तर प्रदेश के ग्रामीण इलाकों के आपसी भाईचारे को गहरा धक्का लगा है। इस दंगे की लपट में आने से हजारों किसानों को गांवों से पलायन करना पड़ा है। कवाल गांव की घटना तो एक नमूना भर है। प्रदेश...
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