जनसत्ता 20 अप्रैल, 2013: अब आरक्षण से जुड़ा आज का प्रश्न। नए भारत का संविधान रचने वालों ने प्रारंभ में इसकी आवश्यकता को नहीं स्वीकारा। कहा जाता है कि खुद आंबेडकर इसके पक्ष में नहीं थे। बड़े संकोच के साथ उन्होंने इस सुझाव को सम्मिलित किया और वह भी केवल चुनिंदा समूहों के लिए और प्रारंभ के कुछ वर्षों के लिए। आरक्षण का प्रावधान उन जातियों और आदिवासी समूहों के...
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अंधविश्वास के चलते ग्रामीणों ने गांव की सीमा सील की, अकाल मौतों से थे परेशान
खरगौन :मप्र:, 3 जनवरी (एजेंसी) मध्यप्रदेश के खरगौन जिले के एक गांव बाडी खुर्द में अंधविश्वास के चलते ग्रामीणों ने गांव की सीमा सील कर 24 घंटे के लिये आने जाने पर प्रतिबंध लगा दिया। इस दौरान बाडी खुर्द गांव में टोने टोटके को लेकर कोई भी ग्रामीण गांव के बाहर नहीं निकला और न ही किसी बाहरी व्यक्ति को गांव में प्रवेश करने दिया गया। दरअसल, गांव में लगातार हो रही...
More »शहरों ने लील लिए 490 गांव
भोपाल। शहरीकरण के मामले में मप्र भी देश के अन्य राज्यों के नक्शेकदम पर है। जनगणना के ताजा अंतरिम आंकड़ों के अनुसार पिछले दस सालों में मप्र के करीब सवा फीसदी लोग गांवों से निकलकर शहरों में बस गए हैं। प्रदेश में शहरों की संख्या में 82 का इजाफा हुआ है, जबकि 490 गांव कम हो गए। हालांकि राज्य के अब भी सवा पांच करोड़ (72.37 फीसदी) लोग गांवों में ही...
More »गांधी के सिवा कोई रास्ता नहीं है -- सच्चिदानंद सिंहा से आलोक प्रकाश पुतुल की बातचीत
सच्चिदानंद सिंहा भारत के उन चुनिंदा विचारकों में हैं, जो अपने समय से लगातार मुठभेड़ करते रहते हैं. 81 साल की उम्र में भी लगातार सक्रिय सच्चिदानंद सिंहा मानते हैं कि भारत में आने वाले दिनों में अगर किसी नये समाज का निर्माण करना है तो समाजवादी विचारकों को गांधी की कुछ बातों को स्वीकारना ही होगा. उनसे कुछ सामयिक मुद्दों पर की गई बातचीत यहां प्रकाशित की जा रही...
More »कुप्रथा डायन खा गई 1,240 अबलाएं
डायन करार देकर महिलाओं पर अत्याचार झारखंड का क्रूर अभिशाप है। दो दशक में 1,240 महिलाएं मार डाली गई, जबकि हजारों प्रताड़ित की गई। प्रताड़ना का स्तर भी ऐसा-वैसा नहीं। कहीं कोई महिला निर्वस्त्र की गई, तो कहीं सिर मुंड़वा सात गांव घुमाया गया। कई का जीते जी श्राद्ध करा दिया गया, कई गांव से निकाल दी गई, कई की इज्जत लूटी गई तो कुछ को जबरन मल-मूत्र पिलाया गया।...
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