बिगाड़ना बड़ा आसान है, बनाना बहुत मुश्किल. इसी तरह रोजगार मिटाना बहुत आसान है, जबकि रोजगार बनाना बहुत मुश्किल. अगर ऐसा न होता, तो हर साल दो करोड़ नये रोजगार पैदा करने का वादा करनेवाली मोदी सरकार अपने आधे कार्यकाल तक कम-से-कम पांच करोड़ रोजगार तो पैदा ही कर चुकी होती. लेकिन, सरकार का श्रम ब्यूरो बताता है कि देश में रोजगार देनेवाले आठ प्रमुख उद्योग क्षेत्रों में अप्रैल से...
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सरकार के लक्ष्य बदलने की वजह-- पवन के वर्मा
विपक्षी नेताओं में नीतीश कुमार संभवत: पहले ऐसे नेता थे, जिन्होंने नोटबंदी के पीछे की मंशा का समर्थन किया. कोई भी सरकार अगर कालाधन और भ्रष्टाचार को कम करने के लिए कोई कदम उठाती है, तो उसे इसके लिए कम-से-कम संशय का लाभ तो मिलना ही चाहिए. हालांकि, जदयू की तरफ से बराबर यह बात कही जाती रही कि इतने बड़े कदम के लिए तैयारी नाकाफी रही. यह भी कहा...
More »आज तो आजिज हैं सब गरीब! - मृण्ााल पांडे
दु:ख, असहायता और राज-समाज के उत्पीड़न से भारतीय गरीबों का इतनी सदियों से रिश्ता रहा है कि वे अक्सर उसे खामोशी से सहते रहते हैं। पर हमारे यहां जनता की अनसुनी मूक व्यथा को स्वर देने वाले जनकवियों की वाल्मीकि से लेकर बाबा नागार्जुन तक एक लंबी परंपरा भी है, जिसमें नज़ीर अकबराबादी भी आते हैं। मध्यकाल में जब दिल्ली की बादशाहत उजड़ रही थी और जनता जाट, रुहेले, मराठा...
More »'क्या नोटबंदी ने एक नए भ्रष्टाचार को जन्म दिया?'--- क़मर वहीद नक़वी
नोटबंदी में देश क़तारबंद है. आज एक महीना हो गया. बैंकों और एटीएम के सामने क़तारें बदस्तूर हैं. जहाँ लाइन न दिखे, समझ लीजिए कि वहाँ नक़दी नहीं है! प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि बस पचास दिन की तकलीफ़ है. तीस दिन तो निकल गए. बीस दिन बाद क्या हालात पहले की तरह सामान्य हो जायेंगे? क्या लाइनें ख़त्म हो जाएंगी? और क्या 30 दिसंबर के बाद जवाब मिल जाएगा...
More »बाजार में नकदी संकट गहराया, हेलीकॉप्टर से लाये जा रहे हैं नोट
नयी दिल्ली/पटना/रांची : नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा कालेधन को खत्म करने के लिए 500 व 1000 के पुराने नोटों का सर्जिकल स्ट्राइक किये जाने के बाद जनता परेशान है. सरकार द्वारा उनकी परेशानियां खत्म करने के लिए किये जा रहे प्रयास नाकाफी साबित हो रहे हैं. बैंक व एटीएम के बाहर खड़े लोगों में से कुछ जहां नाराजगी भरी प्रतिक्रिया दे रहे हैं, वहीं कुछ लोग आशावादी भी हैं...
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