मोंगाबे हिंदी, 20 जुलाई ऐसा लग रहा था कि यह दलदल कभी ख़त्म नहीं होगा। जब मैं घुटनों तक दलदल में चली गई, तो सिर्फ़ केकड़ ही मेरे साथ थे। मुझसे महज 10 फुट आगे चल रहे मेरे फील्ड गाइड की आवाज़ शोर और हवा के चलते धीमी हो गई थी। मेरे पास उनके साथ तालमेल बिठाने का कोई रास्ता नहीं था। यहां जूते बेकार थे। मैं उनसे बहुत पहले ही...
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दिल्ली की बाढ़ एक मानव जनित त्रासदी
डाउन टू अर्थ, 18 जुलाई यह जान लेना आवश्यक है कि नदी पानी के लिए एक पाइप लाइन नहीं है। ना ही रेत बोल्डर जैसे निर्माण सामग्री उपलब्ध कराने की जगह है। और ना ही बोतलबंद पानी का स्रोत मात्र है। नदी एक जीवित प्रणाली है एवं इसके साथ उचित व्यवहार एवं आदर की आवश्यकता है। नदी के अलग-अलग व्यवहारिक क्षेत्र होते हैं- नदी चैनल- जो निरंतर बहाव में रहता है। तटवर्ती...
More »आदिवासी क्यों कर रहे हैं समान नागरिक संहिता का विरोध ?
"यूनिफॉर्म सिविल कोड के नाम पर लोगों को भड़काने का काम हो रहा है। आप मुझे बताइये, एक घर में, परिवार के एक सदस्य के लिए एक कानून हो और दूसरे सदस्य के लिए दूसरा कानून हो, तो क्या वो घर चल पाएगा? कभी भी चल पाएगा? समर्थकों की ओर से जवाब आता है नहीं। फिर ऐसी दोहरी व्यवस्था से देश कैसे चल पाएगा। हमें याद रखना है कि भारत के...
More »उत्तर भारत भले पानी में डूबा हो लेकिन बूंद-बूंद के लिए तरस रहा है झारखंड
जनचौक, 13 जुलाई हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब और दिल्ली भले ही पानी में डूबे हुए हैं लेकिन देश का एक राज्य झारखंड बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहा है। जुलाई का दूसरा सप्ताह गुजरने वाला है, हिन्दी तारीख से यह सावन का दूसरा सप्ताह है। लेकिन झारखंड में मॉनसून के आगमन के बावजूद बारिश नहीं हो रही है। जिसके कारण जहां एक तरफ खरीफ फसल की खेती के लिए किसान परेशान...
More »भारत में आगे क्या लाएगा अल-नीनो?
डाउन टू अर्थ, 12 जुलाई इस वर्ष भारत में मॉनसून में तीन सप्ताह की देरी हुई। इसका मतलब था कि जून की शुरुआत में पूरे उपमहाद्वीप में बहुत कम बारिश हुई और भीषण गर्मी पड़ी, जिसके कारण उत्तर प्रदेश के कुछ इलाकों में तापमान 47 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया। विलंबित और कमजोर मॉनसून आमतौर पर तब होता है जब (उत्तरी-गोलार्ध) वसंत ऋतु में अल नीनो विकसित होता है, जैसा कि ला...
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