नई दिल्ली। महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के मंदसौर से शुरू हुए किसान आंदोलन की आहट उत्तर प्रदेश में भी पहुंच चुकी है। यहां के किसान संगठन भी इस बात से नाराज हैं कि योगी सरकार ने 1 लाख रुपए तक ही लोन माफ किया है। इसके अलावा इसमें भी तमाम तरह की शर्ते जोड़ दी गईं हैं। लेकिन पिछले 15 दिन से नेशनल मीडिया में किसानों के मुद्दे पर चल...
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गरीबी नहीं गैरबराबरी है चुनौती-- मृणाल पांडे
एक जमाना था, जब कक्षा से चुनावी भाषणों तक में ‘अहा ग्राम्य जीवन भी क्या है?' जैसे जुमले सुनने को मिलते थे. भला हो राग दरबारी के लेखक श्रीलाल शुक्ल का, जिन्होंने इस उपन्यास के मार्फत आजादी के बाद हमारे बदहाल गांवों की असलियत दिखाकर इस पाखंड पर ऐसी चोट की कि पढ़ने-लिखनेवाले लोग इस भावुक और निरर्थक मुहावरे से बचने लगे. फिर ‘90 के दशक में आर्थिक उदारीकरण...
More »अवसाद की फैलती विषबेल-- मनीषा सिंह
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वर्ष 2015 में एक रिपोर्ट जारी करके दुनिया को चेताया था कि डिप्रेशन यानी अवसाद दुनिया की सबसे बड़ी मानसिक बीमारी बनने जा रहा है। अकसर ऐसी स्वास्थ्य-रिपोर्टों और चेतावनियों पर हमारी नजर नहीं जाती, या वक्त के साथ हम उन्हें भूल जाते हैं, पर इनसे जुड़े हादसे साबित करते हैं कि इन चेतावनियों को याद रखना कितना जरूरी है। जैसे, दिल्ली के नजदीक हरियाणा के...
More »रोजगार की आस में युवा-- विश्वनाथ सचदेव
राजस्थान विधानसभा सचिवालय में चपरासी के 17 पदों के लिए 12,500 लोगों द्वारा आवेदन भेजना महत्वपूर्ण समाचार है. लेकिन, इसकी गंभीरता और बढ़ जाती है, जब यह पता चलता है कि चपरासी बनने के लिए कतार में खड़े उम्मीदवारों में 129 इंजीनियर हैं, 23 वकील हैं, एक चार्टर्ड एकाउंटेट हैं, 393 स्नातकोत्तर हैं और 1,500 से अधिक स्नातक हैं. जबकि इस पद के लिए मात्र पांचवीं पास होना पर्याप्त...
More »ताकि बची रहें नदियां-- पत्रलेखा चटर्जी
दुनिया के सबसे प्रसिद्ध पर्यावरणविदों में से एक और दिल्ली स्थित विज्ञान एवं पर्यावरण केंद्र (सीएसई) की महानिदेशक सुनीता नारायण जीवंत किंवदंतियों में से एक हैं। हाल ही में सुनीता नारायण से मेरी मुलाकात हुई, हालांकि मैं उन्हें बीती सदी के नब्बे के दशक से ही जानती हूं। सुनीता नारायण की नई किताब कॉन्फ्लिक्ट ऑफ इंटरेस्ट हाल ही में प्रकाशित हुई हैं, जिसमें भारत के हरित आंदोलन के माध्यम से...
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