Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 150
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 151
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Warning (512): Unable to emit headers. Headers sent in file=/home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php line=853 [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 48]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 148]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 181]
न्यूज क्लिपिंग्स् | सरकार, विपक्ष, किसान नेता: किसी के एजेंडे में किसान नहीं

सरकार, विपक्ष, किसान नेता: किसी के एजेंडे में किसान नहीं

Share this article Share this article
published Published on Feb 8, 2018   modified Modified on Feb 8, 2018
नई दिल्‍ली। महाराष्‍ट्र और मध्‍य प्रदेश के मंदसौर से शुरू हुए‍ किसान आंदोलन की आहट उत्‍तर प्रदेश में भी पहुंच चुकी है। यहां के किसान संगठन भी इस बात से नाराज हैं कि योगी सरकार ने 1 लाख रुपए तक ही लोन माफ किया है। इसके अलावा इसमें भी तमाम तरह की शर्ते जोड़ दी गईं हैं। लेकिन पिछले 15 दिन से नेशनल मीडिया में किसानों के मुद्दे पर चल रही चर्चा का सेंटर प्‍वाइंट किसानों की कर्ज माफी ही। भले ही कोई इसके पक्ष में तर्क दे रहा है या इसके खिलाफ। सबसे खतरनाक बात है कि किसान संगठनों का भी सारा जोर किसानों की कर्ज माफी पर है। ऐसे में महाराष्‍ट्र में किसानों की कर्ज माफी के वादे के साथ आंदोलन भी ठहर गया है। किसानों को उनकी उपज की वाजिब कीमत मिले ओर खेती को डेयरी फॉर्मिंग ओर मछली पालन जैसे इससे जुड़ी गतिविधियों से जोड़ कर कैसे किसान के जीवन स्‍तर को बेहतर बनाया जाए। इस पर एक दो एक्‍सपर्ट को छोड़ कर किसी का ध्‍यान नहीं है।

सबसे पहले देश में खेती और किसानों के लिए नीतियां बनाने वाली केंद्र सरकार की बात करें । अब तक केंद्र सरकार के वरिष्‍ठ मंत्रियों की ओर से आए बयानों की बात करें तो साफ है कि केंद्र सरकार के पास 2022 के पहले किसानों की समस्‍याओं का समाधान नहीं है। सरकार 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का दावा अब भी कर रही है। लेकिन यह कैसे होगा सरकार इसका ब्‍लूप्रिंट नहीं दे रही है। भाजपा ने अपने चुनावी घोषणापत्र में किसानों को उपज की लागत पर 50 फीसदी मुनाफा दिलाने का वादा किया था। फिलहाल इसकी चर्चा सरकार में बैठा कोई जिम्‍मेदार व्‍यक्ति नहीं करना चाहता है। इसके अलावा सरकार अदालत में हलफनामा देकर यह यह बता चुकी है कि किसानों को उपज की लागत के ऊपर 50 फीसदी मुनाफा देना संभव नहीं है।

अब कांग्रेस सहित समूचे विपक्ष की बात कर लें। मध्‍य प्रदेश के मंदसौर में 5 किसानों की फायरिंग में मौत होने के बाद कांग्रेस उपाध्‍यक्ष राहुल गांधी ने वहां जाने में समय नहीं गंवाया। बड़ी बात यह है कि उनके साथ जद यू के वरिष्‍ठ नेता शरद यादव भी थे। राहुल गांधी ने वहीं अपनी चिर परिचित बात कही कि मोदी सरकार किसानों की दुश्‍मन है जो बात वे 2014 में हार के बाद से ही कह रहे हैं और चुनाव दर चुनाव हार रहे हैं। किसानों के अचानक हिंसक हो रहे आंदोलन में विपक्ष को मोदी सरकार को बदनाम करने के लिए एक संभावना दिखी लेकिन जैसे जैसे किसानों की खराब स्थिति पर चर्चा शुरू हुई विपक्ष को लगा कि इस मसले पर लंबे समय तक चर्चा होना खुद उनकी राजनीति के लिए भी ठीक नहीं है। ऐसे में कांग्रेस के एक प्रवक्‍ता एक टीवी डिबेट पर कांग्रेस को समस्‍या का सबसे बड़ा कारण नोटबंदी को बताते रहे। मोदी सरकार को किसान के संकट के लिए घेरने वाले राजनीतिक दल इस बात कोई जवाब नहीं देते हैं कि उन राज्‍यों में जहां उनकी सरकारें हैं वहां कितने किसान सरकारी समर्थन मूल्‍य पर अपनी फसल बेच पा रहे हैं। मंडियों में आढ़तियों ओर बिचौलियों का नेक्‍सस तोड़ने के लिए राज्‍य सरकारों ने क्‍या किया है। उन्‍होंने अपने राज्‍य में कितने गोदाम ओर कोड स्‍टोरेज बनवाएं हैं।

अब बात करते हैं किसान संगठनों की। किसान संगठनों के आंदोलन की शुरूआत में बहुत से मुद्दे थे। लेकिन ऐसा लग रहा है कि उनका सारा जोर अब किसानों की कर्ज माफी पर शिफ्ट हो गया है। किसान का अपना बाजार हो जहां पर वह फसल की कीमत के वह आढतियों पर निर्भर न हो। सरकार इन्‍फ्रास्‍ट्रक्‍चर जैसे वेयरहाउस और कोल्‍ड स्‍टोरेज का जाल बिछाए और सबसे बड़ी बात अधिक उत्‍पादन वाले बीज और सिंचाई की सुविधा मिले। ऐसे मसलों पर किसानों का उतना जोर नहीं है। लंबी अवधि में इन्‍ही कदमों से किसानों की स्थिति सुधर सकती है। लेकिन किसान को फिलहाल चाहिए कर्ज माफी। कर्ज माफी से फौरी राहत तो मिलेगी। लेकिन किसानों के उन बच्‍चों का भविष्‍य अंधकार मय हो जाएगा जो एमबीए और इंजीनियरिंग करने के बाद नौकरियों के लिए बड़े शहर पहुंचेंगे और उनको फिस्‍कल डेफिसिट और अर्थव्‍यवस्‍था में सुस्‍ती के नतीजों का समाना करना पड़ेगा।


https://money.bhaskar.com/news/MON-ECN-POLI-farmers-not-in-government-agenda-5622943-NOR.html


Related Articles

 

Write Comments

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close