-न्यूजक्लिक, वैसे तो अनौपचारिक क्षेत्र में कार्यरत प्रवासी मजदूरों के कल्याण के संरक्षण को लेकर कई कानून मौजूद हैं, लेकिन वे शायद ही कभी अमल में लाये जाते हैं। एक आदिवासी प्रवासी महिला की मौत ने जो कि भिवंडी के नजदीक धान के खेतों में काम करती थी, की मौत ने प्रवासी मजदूरों की सामजिक सुरक्षा की जरूरत को एक बार फिर से रेखांकित किया है। चालीस वर्षीया चन्द्राबाई थालेकर, जिनके तीन...
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चेतावनी : पटाखे बना सकते हैं दिल्ली को गैस चैंबर, खतरनाक पीएम 2.5 बढ़ने से बढ़ सकती हैं अतिरिक्त मौतें
-डाउन टू अर्थ, दिल्ली-एनसीआर समेत खराब वायु गुणवत्ता वाले शहरों में यदि कोविड महामारी के दौर वाली 2020 की दीपावली में भी अदालत व अन्य आदेशों का उल्लंघन करते हुए पटाखे दगाए या जलाए जाते हैं तो यह न सिर्फ शहरों को गैस चैंबर में बदल सकता है बल्कि अतिरिक्त मौतों का कारण भी बन सकता है। दीपावली में पटाखे जलाए जाने के दौरान कारण यह पाया गया है कि इससे...
More »प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना का विस्तार और पीडीएस का सार्वभौमीकरण (सभी के लिए)
श्री नरेन्द्र मोदी, प्रधानमंत्री, भारत भारत सरकार माननीय प्रधानमंत्री जी, प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना का विस्तार और पीडीएस का सार्वभौमीकरण (सभी के लिए) प्रधान मंत्री गरीब कल्याण योजना के बारे में हमारी गहरी चिंता व्यक्त करने के लिए हम आपको लिख रहे हैं। देश भर में मुफ्त राशन वितरण केवल नवंबर, 2020 तक ही लागू है। इस योजना के तहत, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (2013) के तहत 'प्राथमिकता' या AAY राशन कार्ड वाले सभी व्यक्तियों को...
More »हर चार में से तीन ग्रामीण भारतीयों को नहीं मिल पाता पौष्टिक आहार: रिपोर्ट
-द वायर, इंटरनेशनल फूड पॉलिसी रिसर्च इंस्टिट्यूट द्वारा प्रकाशित एक पेपर में कहा गया है कि ग्रामीण इलाकों में रहने वाले हर चार में से तीन भारतीयों को पौष्टिक आहार नहीं मिल पाता है. बता दें कि हाल में जारी वैश्विक भूख सूचकांक 2020 में भारत 107 देशों की सूची में 94वें स्थान पर है और भूख की ‘गंभीर’ श्रेणी में है. विशेषज्ञों ने इसके लिए खराब कार्यान्वयन प्रक्रियाओं, प्रभावी निगरानी की कमी, कुपोषण से निपटने का...
More »भारत में न्याय अब एक ऐसा शब्द है जो अपना मतलब खोता जा रहा है
-सत्याग्रह, साल 2000 में अपने एक व्याख्यान में चर्चित अर्थशास्त्री टीएन श्रीनिवासन ने कहा था कि ‘भारत में अगर कोई गरीब है तो इसकी ज्यादा संभावना है कि वह किसी ग्रामीण इलाके में रह रहा होगा, अनुसूचित जाति या जनजाति या फिर सामाजिक रूप से पिछले वर्ग से ताल्लुक रखता होगा, कुपोषित, बीमार या फिर कमजोर स्वास्थ्य वाला होगा, अनपढ़ या फिर कम पढ़ा-लिखा होगा और कुछ खास राज्यों (जैसे बिहार,...
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