वर्ल्ड ट्रैवल एंड टूरिज्म काउंसिल (डब्ल्यूटीटीसी) ने देश की जीडीपी और पर्यटन से होने वाली आय के विश्लेषण के आधार पर एक रिपोर्ट तैयार की है। गुरुवार को जारी की इस रिपोर्ट के अनुसार भारत 2028 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी बन सकता है। इस रिपोर्ट के मुताबिक 2028 तक देश में लगभग 1 करोड़ नई नौकरियां भी आएंगी। साथ ही ट्रैवल और टूरिज्म में सीधे और अप्रत्यक्ष...
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ज्ञान बांटने वालों के साथ ऐसी बेदिली-- बृंदा करात
हेमलता ने इसी जनवरी में अपने पति खेमचंद को दुखद परिस्थितियों में खो दिया। वह चांदनी चौक के एक प्राइमरी स्कूल में शिक्षक थे। उत्तरी दिल्ली नगर निगम के अधीन आने वाले इस स्कूल में वह 1997 से पढ़ा रहे थे। जो आखिरी सैलरी उनके हाथों में आई थी, वह 58,000 रुपये थी। खेमचंद पर अपनी विधवा मां, पत्नी हेमलता, पांच बच्चे और एक बहन का भार था। वह मूल...
More »प्रसंगवश : संभावनाओं से भरे खेतों को बाजार से जोड़ना जरूरी
मौसम रूठा, बादलों से ओले बरसे और देखते ही देखते मध्यप्रदेश के एक हिस्से की फसलें जमीन पर जा गिरीं! यहां सरकार की मजबूरी समझी जा सकती है, लेकिन उसी दौरान दूसरे इलाके के खेतों में बंपर पैदावार की वजह से भाव नहीं मिले और किसान सड़कों पर टमाटर फेंकते, खेतों से पौधे उखाड़ते नजर आए! यह हर हाल में अस्वीकार होना चाहिए, किसान को भी और सरकार को भी!...
More »यूपी की 'सेहत' सबसे खराब, नीति आयोग ने जारी किया राज्यों का स्वास्थ्य सूचकांक
हरिकिशन शर्मा, नई दिल्ली। राज्यों में स्वास्थ्य का हाल बताने वाली नीति आयोग की हेल्थ इंडेक्स (स्वास्थ्य सूचकांक) पर केरल देश में सर्वश्रेष्ठ जबकि उत्तर प्रदेश सबसे फिसड्डी राज्य है। स्वास्थ्य व्यवस्था की हकीकत बयां करने वाले इस सूचकांक पर यूपी का प्रदर्शन झारखंड, उड़ीसा और बिहार से भी बदतर है। झारखंड प्रदर्शन तेजी से सुधारने के मामले में सबसे आगे है। केंद्र शासित क्षेत्रों में राजधानी दिल्ली हेल्थ इंडेक्स...
More »आदिवासी बनाएंगे सियासी दल, चुनाव से पहले समाज में हो रहा सर्वे!
मृगेंद्र पांडेय, रायपुर। छत्तीसगढ़ में आदिवासी समाज एक नए राजनीतिक विकल्प की तलाश में निकल पड़ा है। विधानसभा चुनाव से दस महीने पहले सर्वआदिवासी समाज एक सर्वे कर रहा है, जिसमें यह सवाल पूछा जा रहा है कि क्या आदिवासी, पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यकों को एकजुट होकर गैर कांग्रेसी, गैर भाजपाई राजनीतिक पार्टी बनानी चाहिए। क्या आरक्षित वर्ग को नया राजनीतिक विकल्प तलाशना चाहिए? राजनीतिक प्रेक्षकों की मानें तो पिछले तीन...
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