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हेमंत ने ममता बनर्जी को लिखा पत्र, कहा झारखंड भी सब्जियां उगाता है दीदी

रांची: पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से आलू की आपूर्ति रोके जाने को झारखंड सरकार ने गंभीरता से लिया है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने प बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को पत्र लिखा है. पत्र में मुख्यमंत्री ने ममता बनर्जी को ममता दीदी कह कर संबोधित किया है. लिखा है कि झारखंड में बड़े पैमाने पर फूलगोभी, गाजर, फ्रेंच बीन, टमाटर आदि सब्जियों की खेती होती है. झारखंड के किसान...

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किसानों पर भारी पड़ेगी खाद्य सुरक्षा- वी एम सिंह

संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार आगामी लोकसभा चुनाव की सीढ़ियां जिस खाद्य सुरक्षा अध्यादेश, 2013 के सहारे चढ़ना चाह रही है, वह अध्यादेश खामियों से भरा हुआ है। खाद्य सुरक्षा अध्यादेश लागू होने के बाद जहां लाभार्थियों के अनाज आवंटन में कटौती होगी, वहीं वर्तमान में लाभ ले रहे लाभार्थियों की संख्या में भी कटौती हो जाएगी। इस बिल में किसानों के संरक्षण का कहीं कोई जिक्र ही नहीं किया...

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खाद्य सुरक्षा की शर्तें- रविशंकर

जनसत्ता 12 अप्रैल, 2013: हालांकि यूपीए सरकार की मंशा थी कि बजट सत्र में ही खाद्य सुरक्षा विधेयक को संसद से पास करा लिया जाए, पर ऐसा नहीं हो पाया। संसद की कार्यवाही बार-बार स्थगित होने से संशोधित विधेयक अब तक पेश नहीं हो सका है। अब इस विधेयक के बजट सत्र के अंतराल के बाद पेश होने की उम्मीद है। वास्तव में यह विधेयक यूपीए के 2009 के उस...

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खाद्य सुरक्षा बिल- कुछ बुनियादी बातें

संसद के मौजूदा(बजट) सत्र में आखिरकार खाद्य सुरक्षा बिल पर चर्चा होने जा रही है। यह बिल यूपीए सरकार ने साल 2011 में लोकसभा में पेश किया था। आहार और बाल-स्वास्थ्य के मुद्दे पर काम करने वाले विभिन्न संगठनों, स्वयंसेवी संस्थाओं और राज्यों द्वारा प्रस्तुत विविध आलोचनाओं के आलोक में इस बिल में कई और बदलाव किए जाने की संभावना है।यहां प्रस्तुत सामग्री में कोशिश की गई है कि भोजन का अधिकार बिल के बारे में जानकारी क्या-क्यों-कैसे-कौन...

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क्या विरोध का ढंग बदल सकता है- गिरिराज किशोर

जनसत्ता 5 मार्च, 2013: इक्कीस-बाईस फरवरी का भारत-बंद लगभग सफल हुआ। उसके लिए श्रमिक संगठनों को बधाई। लेकिन इस महाबंद ने मन में कई सवाल उठा दिए। बंद होते रहते हैं। दो मुख्य तर्क इनके पीछे हैं। एक, मजदूरों या कर्मचारियों के अधिकारों की रक्षा, और दूसरा, अपने अधिकारों की शांतिपूर्ण और सामूहिक अभिव्यक्ति। दोनों बातें अपनी जगह सही हैं। मजदूर के अधिकार का संरक्षण होना जरूरी है। लेकिन असंगठित मजदूर...

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