जनसत्ता 22 अगस्त, 2014 : वित्तमंत्री अरुण जेटली के अनुसार आम लोगों के लिए बवालेजान बनी महंगाई का सीधा संबंध बाजार में आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति से है। भारतीय शासकों का यह जाना-माना तर्क रहा है, जो जनता को बरगलाने वाले अगले पाखंड की जमीन भी तैयार करता है। शासकों का अगला तर्क होता है कि आम लोगों की जरूरत की चीजों की आपूर्ति जमाखोरों ने रोक रखी है और...
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जीएम फसल : भरोसेमंद रिसर्च, अन्नदाता की भलाई में समाधान
जीन संशोधित यानी जेनेटिकली मोडिफाइड (जीएम) फसलों को लेकर भारत में एक बार फिर जीन संशोधित यानी जीएम फसलों का मामला गरमा गया है। पेश है एक रिपोर्टः- नरेंद्र मोदी सरकार पर इस मसले पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के दबाव में काम करना आरोप लगा है। पहले खबर आई थी कि देश में 15 जीएम फसलों के फील्ड ट्रायल की अनुमति दे दी गई है। बाद में संघ से...
More »बिलासपुर के साढ़े चार लाख गरीबों को नसीब नहीं होगा गेहूं
बिलासपुर (निप्र)। बिलासपुर जिले के तकरीबन साढ़े चार लाख बीपीएल राशन कार्डधारक गरीबों को इस महीने गेहूं नहीं मिलेगा। इसके बदले 10 किलो उसना चावल दिया जाएगा। खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग ने फरमान जारी करने के साथ ही इस महीने का कोटा भी जारी कर दिया है। खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत बीपीएल राशन कार्डधारकों को प्रति महीने 35 किलोग्राम खाद्यान्न का आवंटन किया जाता है। इसे चावल व गेहूं...
More »हैरान करती महंगाई: भंडार भरे, फिर भी बढ़ा दी तेल, अनाज और सब्जी की कीमतें
भोपाल. कमजोर मानूसन की आशंका के चलते पिछले 10 दिनों में अधिकांश जरूरी खाद्य वस्तुओं के फुटकर दाम 15 फीसदी से ज्यादा बढ़ चुके हैं। कीमतों में इस अप्रत्याशित तेजी से आम लोगों के अलावा अर्थव्यवस्था के जानकार भी हैरान हैं। इस हैरानी का कारण है कि इनमें से अधिकांश जरूरी वस्तुओं का न सिर्फ पर्याप्त भंडारण मौजूद है, बल्कि उनकी आपूर्ति भी सुचारू रूप से हो रही है। राजधानी में दाल-चावल समेत कुछ...
More »अलनीनो, मॉनसून और अर्थव्यवस्था- अविनाश कुमार चंचल
दुनियाभर के पर्यावरण विशेषज्ञ 2014 को अलनीनो का साल मान रहे हैं. अगर सच में यह साल अलनीनो के प्रभावों वाला होगा, तो यह भारत सहित समूचे दक्षिण एशियाई क्षेत्र के लिए चिंताजनक स्थिति बन सकती है. भारतीय मौसम विभाग ने भी इस साल मॉनसून में कमी का अनुमान जताया है. अलनीनो, मॉनसून और अर्थव्यवस्था पर इसके प्रभाव पर नजर डाल रहा है आज का नॉलेज. पर्यावरण के गंभीर खतरों के बीच...
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