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जल शक्ति मंत्रालय की कोशिशें सफल रहीं तो जल्दी ही गंगा जल शेयर मार्केट में मिलेगा

-द प्रिंट, टाइटल हाइपथेटिकल लग रहा हो तो न्यू नार्मल दौर की इस सामान्य खबर पर नजर डालिए. दुनिया के सबसे बड़े शेयर बाजार वॉल स्ट्रीट ने पानी को कमोडिटी मान कर उसका व्यापार शुरू कर दिया है ठीक गोल्ड, क्रूड और दूसरी तमाम कमोडिटी की तरह ही. पानी का ताजा रेट जानने के लिए कृपया गूगल कर लें. नदियों और दूसरे जल स्रोतों को लेकर चल रही सरकारी चर्चा और चिंता...

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राम के नाम पर देश में फिर नब्बे के दशक जैसा माहौल बनाने की कोशिश!

-न्यूजक्लिक,  सदियों से करोडों लोगों के लिए श्रद्धा और विश्वास के प्रतीक रहे मर्यादा पुरुषोत्तम राम के नाम पर एक बार फिर देश को सांप्रदायिक तौर पर गरमाने और नफरत फैलाने का अभियान शुरू हो गया है। विश्व हिन्दू परिषद ने पूरे देश में 1990 के दशक जैसा जहरीला और तनावभरा माहौल बनाने की योजना बनाई है। इसकी शुरुआत मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र में हो चुकी है, जहां कुछ कस्बों...

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साहित्य में विद्धता और रसिकता को अलग करके देखने का पूर्वाग्रह व्यापक है

-सत्याग्रह, विद्वत्ता और रसिकता साहित्य में, साहित्य की आलोचना और अध्यापन में विद्वत्ता को अक्सर सूखी और रसिकता को आर्द्र मानने का पूर्वाग्रह व्यापक है. पर ऐसे मुक़ाम, सौभाग्य से हमारे यहां रहे हैं जब विद्वत्ता और रसिकता किसी एक ही व्यक्ति में, लगभग आवयविक रूप से संलग्न, प्रगट हुए हैं. आचार्य रामचन्द्र शुक्ल आधुनिक आलोचना के परिसर में सबसे पहले हैं. वे अधीत (शिक्षित) विद्वान थे और गहरे रसिक भी. दशकों...

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संकट में है भूजल और नदी का रिश्ता

-वाटर पॉर्टल, पिछले कुछ बरसों से, नदियों और भूजल का पुराना अन्तरंग कुदरती रिश्ता बुरी तरह बिगड़ा हुआ है। अनदेखी के कारण इन दिनों वह कुछ अधिक ही बदहाल है। यह रिश्ता सुधरने के स्थान पर साल-दर-साल और अधिक बिगड़ रहा है। उसका संकट बढ़ रहा है। रिश्ते के संकटग्रस्त होने के कारण नदियों के गैर-मानसूनी प्रवाह की मात्रा और अवधि घट रही है। पानी की गुणवत्ता बिगड़ रही है। नदी-तंत्र...

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सरकार को एहसास हो रहा है कि केन-बेतवा जोड़ना एक गलत कदम है, लेकिन अब पीछे नहीं हटा जा सकता

-द प्रिंट, पर्यावरण मंत्रालय के एक एक्सपर्ट ग्रुप ने केन-बेतवा लिंक प्रोजेक्ट के तहत बनने वाले एक अहम बांध को पर्यावरणीय मंजूरी देने से मना कर दिया. यह बांध मध्य प्रदेश के अशोक नगर जिले के डिंडौनी में बनाया जाना प्रस्तावित था. इस मनाही का तात्कालिक और तकनीकी कारण यह है कि पर्यावरणीय मंजूरी के लिए उपयोग किए जाने वाला डाटा डेढ़ साल से ज्यादा पुराना नहीं होना चाहिए और इसलिए...

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