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बजट 2022-23: क्या सार्वजनिक निवेश पर आधारित विकास रणनीति वांछनीय और विश्वसनीय है?

-आइडियाज फॉर इंडिया, सरकार ने सकल घरेलू उत्पाद के अनुपात के रूप में सार्वजनिक निवेश को बढ़ाने की इच्छा रखते हुए वर्ष 2022-23 के बजट में आर्थिक विकास को बढ़ावा देने की अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया है। इस संदर्भ में, आर. नागराज भारत के वर्तमान नीति अभिविन्यास और उद्योग एवं बुनियादी अवसरंचना में हाल में किये गए निवेश के परिणामों की जांच करते हैं। वे तर्क देते हैं कि उद्योग पर...

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प्रयागराज: कभी पूरब का ऑक्सफ़ोर्ड कहलाता था, अब क्या है शिक्षा और रोज़गार का हाल

-बीबीसी, दिलीप कुशवाहा सर इलाहाबाद में काफ़ी हिट हैं. वे नए तौर तरीकों से छात्रों को अंग्रेज़ी पढ़ाते हैं, अंग्रेज़ी सीखने की चाहत रखने वालों को वे हिंदी माध्यम में अंग्रेज़ी पढ़ाते हैं. गणित की पृष्ठभूमि और सामाजिक बदलाव की दिशा में भूमिका निभाने का जुनून रखने वाले कुशवाहा बताते हैं कि वे छात्रों के बीच हिट कैसे हुए. उनका कहना है कि ख़ास पाठ्यक्रम, पढ़ाने के दौरान उनके शारीरिक हाव-भाव, अभिव्यक्ति का...

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कम से कम 80 फ़ीसदी ज़िलों में मनरेगा लोकपाल नहीं नियुक्त करने पर राज्य नहीं पाएंगे राशि

-द वायर, अगले वित्तीय वर्ष से केंद्र सरकार महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत उन राज्यों को राशि आवंटित नहीं करेगी, जो कम से कम 80 फीसदी जिलों में मनरेगा लोकपाल नियुक्त नहीं कर सके हैं. एक शीर्ष सरकारी अधिकारी ने रविवार को यह जानकारी दी. ग्रामीण विकास सचिव नागेंद्र नाथ सिन्हा ने कहा, ‘आदर्श रूप में राज्यों को मनरेगा के तहत अपने सभी जिलों में लोकपाल नियुक्त करना चाहिए....

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कोविड-19 और दीर्घकालिक गरीबी: ग्रामीण राजस्थान से साक्ष्य

-आइडियाज फॉर इंडिया, प्रारंभिक गणना के आधार पर, भारत में कोविड-19 के कारण 7.7 से 22 करोड़ लोग गरीबी में आ गए हैं, जिसके अनुसार अब शहरी आबादी में गरीब 60% और ग्रामीण आबादी में 70% हो गए हैं। वर्ष 2002 में ग्रामीण राजस्थान में किए गए सर्वेक्षण के 2021 में किये गए फॉलोअप के आधार पर, यह लेख दर्शाता है कि परिवारों को मार्च 2020-अगस्त 2021 के दौरान अपनी नकद आय का...

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क्या यह हमारे देश का ही शिक्षा बजट है?

-जनपथ, जब मीडिया शिक्षा के क्षेत्र में वित्तमंत्री द्वारा बजट बढ़ाए जाने को लेकर उनके प्रशस्ति-गान में लगा हुआ है तब आंकड़ों की दुनिया की अजब-गजब संभावनाओं पर चर्चा करने को जी करता है। आंकड़ों की अलग-अलग प्रकार की तुलना अथवा एक खास ध्येय से उनके चयन के द्वारा खराब स्थिति की अच्छी तस्वीर दिखाई जा सकती है किंतु यह आंकड़े ही हैं जो इस अच्छी तस्वीर की सच्चाई को हम...

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