महाराष्ट्र और गुजरात में जारी सूखे की स्थिति से यह अनुमान लगाना मुश्किल नहीं है कि आने वाले दिनों में पानी की उपलब्धता का मुद्दा और गंभीर हो सकता है और पानी की किल्लत कई किस्म के संघर्षों की जननि साबित हो सकती है। भारत आज विश्व में भूमिगत जल का सबसे बड़ा उपभोक्ता है। बहरहाल यह बात दिन के उजाले की तरह साफ हो चुकी है कि जिस रीति...
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छोटे किसानों में बढ़ाया जाएगा मशीनों का चलन
नई दिल्ली [सुरेंद्र प्रसाद सिंह]। दूसरी हरित क्रांति को सफल बनाने के लिए फसलों की उत्पादकता बढ़ाना और उत्पाद को खेत से खलिहान तक सुरक्षित पहुंचाना जरूरी हो गया है। इस सिलसिले में सरकार खेती में मशीनों के उपयोग को बढ़ावा देने पर विचार कर रही है। इसके लिए एक मिशन शुरू करने की तैयारी है। इसमें छोटी जोत वाले किसानों को स्वयं सहायता समूहों के जरिये खेती में मशीनों का...
More »जमीन पक रही है- भारत डोगरा
जनसत्ता 23 जून, 2012: अगर हमारे देश में ग्रामीण निर्धन वर्ग और विशेषकर भूमिहीन वर्ग को टिकाऊ तौर पर संतोषजनक आजीविका मिले इसके लिए भूमि-सुधार बहुत जरूरी है। इसके अलावा, अन्यायपूर्ण भूमि अधिग्रहण द्वारा जिस तरह तेजी से बहुत-से किसानों खासकर आदिवासियों की जमीन लेकर उन्हें भूमिहीन बनाया जा रहा है, उस पर रोक भी लगानी होगी। ऐसे महत्त्वपूर्ण सवालों के न्यायसंगत समाधान के लिए इस वर्ष के आरंभ से एक प्रयास...
More »झारखंड: संगीनों पर सुरक्षित गांव- चंद्रिका की रिपोर्ट
यह उन लोगों की कहानियां हैं, जो आजादी, इंसाफ और शांति के साथ जीना चाहते हैं. अपने गांव में खेतों में उगती हुई फसल, अपने जानवरों, अपनी छोटी-सी दुकान और अपने छोटे-से परिवार के साथ एक खुशहाल जिंदगी चाहते हैं. लेकिन यह चाहना एक अपराध है. अमेरिका, दिल्ली और रांची में बैठे हुक्मरानों ने इसे संविधान, जनतंत्र और विकास के खिलाफ एक अपराध घोषित कर रखा है. उनकी फौजें गांवों...
More »न खेत तुम्हारे, न फसल-- राजेश जोशी
अपने खेतों पर खड़ी होकर महिलाएं अपनी फसलें उजाड़े जाने का ब्योरा देती हैं। लेकिन सरकार कहती है कि न खेत उनके हैं और न ही उनमें उगाई गई फसल। अलीगढ़ के पास जिक्रपुर गांव के लोग अपनी फसलें उजाड़े जाने की कहानी बताते हैं। वो कहते हैं कि 27 मई को स्थानीय प्रशासन के अधिकारी हथियारबंद पुलिस वालों को साथ लेकर आए और पूरे गांव को घेर लिया गया। किसान विरोध करते...
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