-द प्रिंट, सैकड़ों शोध पत्र, जिसमें से भारत के कम से कम 70 शोध पत्र जो प्रिडेटरी या खामियों भरे जर्नल्स में प्रकाशित हुए हैं, विश्व स्वास्थ्य संगठन के कोविड विज्ञान प्रकाशनों के वैश्विक शोध पत्र में शामिल हो गए हैं. डब्ल्यूएचओ अब इन शोध पत्र की जांच कर रहा है. एक एजेंसी जो ‘कोरोनावायरस बीमारी पर वैश्विक साहित्य’ की एक सूची रखती है, जिसमें दुनिया भर से 30 लाख से अधिक...
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कोरोनावायरस के अलग-अलग वेरिएंट से बचा सकती है एंटीबॉडी : अध्ययन
-डाउन टू अर्थ, आज कोविड-19 के वायरस ने अपने आप में कई तरह के बदलाव कर लिए है, यह अब वैसा नहीं रहा जैसा कि दिसंबर 2019 में था। अब फैलने वाले कोरोना वायरस के रूप कई प्रकार के हैं, कुछ एंटीबॉडी आधारित चिकित्सा के लिए आंशिक रूप से प्रतिरोधी हैं। यह वायरस अपने मूल स्वरूप के आधार पर विकसित हुए थे। जैसे-जैसे महामारी आगे बढ़ती रहेगी, इस वायरस के कई...
More »थकावट, सूंघने की क्षमता में कमी, फेफड़ों की दिक्कत- नई स्टडी में कोविड से लंबे समय तक रहने वाले 55 प्रभावों की हुई पहचान
-द प्रिंट, कोरोनावायरस पर मौजूदा अध्ययनों की समीक्षा करने वाले शोधकर्ताओं का कहना है कि कोविड-19 के बाद इसके 55 ऐसे प्रभाव होते हैं जो लंबे समय तक शारीरिक कष्ट का कारण बनते हैं. बीमारी से उबरे लोगों में थकावट महसूस होना एक प्रमुख लक्षण है. जर्नल साइंटिफिक रिपोर्ट्स में प्रकाशित होने वाले एक अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने करीब 18,251 पब्लिकेशन को खंगाला और इनमें से 15 अध्ययनों को अंतिम विश्लेषण के लिए...
More »आपराधिक कानून समिति के सदस्य बलराज चौहान के 2011 के शोधपत्र का अधिकांश हिस्सा कॉपी
-कारवां, आपराधिक कानूनों में सुधार के लिए गृह मंत्रालय की समिति के सदस्य बलराज चौहान के सह-लेखन में प्रकाशित एक शोधपत्र के कई खंडों पर साहित्यिक चोरी का आरोप है. अक्टूबर 2011 में इंडियन जर्नल ऑफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन में "गुड गवर्नेंस : सर्च फॉर एकाउंटेबिलिटी मैकेनिज्म" शीर्षक से शोधपत्र प्रकाशित हुआ था. चौहान इस साल मध्य जून तक मध्य प्रदेश के जबलपुर में धर्मशास्त्र राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के कुलपति थे. चौहान के सह-लेखक...
More »समय से पहले हो सकती ब्लैक कार्बन की वजह से मृत्यु, शोध में आया सामने
-डाउन टू अर्थ, हाल ही में बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा किए अध्ययन से पता चला है कि ब्लैक कार्बन की वजह से समय से पहले मृत्यु हो सकती है। यही नहीं, ब्लैक कार्बन का इंसान के स्वास्थ्य पर अनुमान से कहीं ज्यादा बुरा असर पड़ता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि यह अध्ययन भविष्य में वायु प्रदूषकों और उससे जुड़े मृत्युदर के बुझ का अधिक सटीक...
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