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बड़ी पड़ताल: उत्तराखंड में रिवर्स माइग्रेशन, कितना टिकाऊ?

-डाउन टू अर्थ, उत्तराखंड के प्रमुख पर्वतीय शहर पौड़ी से लगभग 15 किलोमीटर दूर गांव कठूड़ की स्यारियों (गदेरे यानी बरसाती नदी से लगते खेत) में विकास रावत और आलोक चारू अपने साथियों के साथ खेत में लगी सब्जियां तोड़ रहे हैं। कुछ ही देर में आसपास के गांव के लोग ये सब्जियां खरीदने आने वाले हैं। ये लोग पेशे से सब्जी किसान नहीं हैं। विकास कोरोना संक्रमण को रोकने के...

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सिर्फ कूटनीति तक सीमित नहीं रहा नेपाल-भारत तनाव

-कारवां, 9 जुलाई को नेपाल के केबल ऑपरेटरों ने अचानक भारत के सभी निजी समाचार चैनलों के प्रसारण को बंद करने की घोषणा कर दी. ऑपरेटरों ने यह फैसला जी न्यूज के एक शो के विरोध में लिया था जिसमें दिखाया गया था कि काठमांडू में चीनी राजदूत होउ यानछि ने नेपाल के प्रधानमंत्री खड्ग प्रसाद शर्मा ओली को "हनी ट्रैप" में फंसा लिया है यानी अपने वश में कर लिया...

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भीमा कोरेगांव: बॉम्बे हाईकोर्ट का सामाजिक कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज को ज़मानत देने से इनकार

-द वायर, बॉम्बे हाईकोर्ट ने भीमा-कोरेगांव मामले में आरोपी वकील एवं सामाजिक कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज को जमानत देने से शुक्रवार को इनकार कर दिया. जस्टिस आरडी धानुका की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस साल जून में दायर सुधा भारद्वाज की अपील खारिज कर दी, जिसमें उन्होंने विशेष अदालत के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें स्वास्थ्य समस्याओं के आधार पर उन्हें जमानत देने से इनकार किया गया था. बॉम्बे हाईकोर्ट ने सुधा भारद्वाज...

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विदेश मंत्री बोले- लद्दाख में सीमा पर 58 साल बाद सबसे खराब हालात

-लल्लनटॉप, एस. जयशंकर. भारत के विदेश मंत्री. उन्होंने लद्दाख में भारत-चीन के बीच तनाव पर 27 अगस्त को बयान दिया. कहा कि 1962 के बाद अभी गलवान घाटी में सबसे खराब हालात हैं. 45 साल बाद यहां पर सैनिकों की मौत हुई है. लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर दोनों देशों ने जिस तरह सेना को तैनात कर रखा है, वैसा पहले कभी नहीं हुआ. एस. जयशंकर ने अंग्रेजी वेबसाइट ‘रेडिफ...

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सत्यजीत रे की तीन शहरी फ़िल्में और संकट-ग्रस्त नैतिकताओं के संसार

-न्यूजलॉन्ड्री, सीमाबद्ध (1971) साल 1970 के अक्तूबर-नवम्बर में कलकत्ता (आज का कोलकाता) में 17 दिनों के फ़ासले से दो फ़िल्में रिलीज़ हुईं. पहली थी सत्यजीत रे की प्रतिद्वंद्वी और दूसरी थी मृणाल सेन की इंटरव्यू. संयोगवश यह दोनों ही फ़िल्में एक ऐसी संज्ञा का सूत्रपात कर रही थीं जिसे सत्यजीत रे और मृणाल सेन,दोनों के सिनेमा के संदर्भ में ‘कलकत्ता ट्राइलोजी’ (Calcutta Trilogy) कहा जाता है. इस श्रृंखला में दोनों निर्देशकों की...

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