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बजट 2017-2018 : पॉपुलिस्ट होने से बची केंद्र सरकार, एक अच्छा बजट-- गुरुचरण दास

विमुद्रीकरण की वजह से बीते कुछ समय से जिस तरह से अर्थव्यवस्था को लेकर अनिश्चितता बनी रही है, वैश्विक अर्थव्यवस्था भी अनिश्चितता के दौर से गुजर रही है, तेल की कीमतें बढ़ रही हैं, हमारे निर्यात की हालत खराब है, इन सबके चलते हम सबको डर था कि यह बजट पूरी तरह से राजनीतिक होगा. लेकिन, ऐसा नहीं हुआ और यह बजट बहुत ही अच्छा रहा. यह भी लोगों...

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दोहरे प्रयासों से तेज होगा विकास - डॉ जयंतीलाल भंडारी

बीते सोमवार को जीएसटी कौंसिल की बैठक के बाद आगामी एक जुलाई से इस एकीकृत परोक्ष कर प्रणाली को लागू करने की बात कही गई है। चूंकि नोटबंदी के बाद सरकार देश की अर्थव्यवस्था को कैशलेस बनाने की ओर अग्रसर है, ऐसे में एक जुलाई से जीएसटी की शुरुआत मददगार होगी। साथ ही जीएसटी की तिथि व दरें सुनिश्चित हो जाने के कारण आगामी बजट में अप्रत्यक्ष कर का अनुमान...

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उर्वरक उत्पादन में साझेदारी से खुलते नए रास्ते-- अजीत रानाडे

भारत दुनिया का सबसे बड़ा रासायनिक खाद आयातक देश है। यह विभिन्न देशों से करीब एक करोड़ टन यूरिया का सालाना आयात करता है। यह मात्रा देश में यूरिया की कुल खपत की एक तिहाई है। यूरिया का मुख्य अवयव प्राकृतिक गैस है, और भारत में इसकी उपलब्धता कम है, इसलिए इसके बड़े पैमाने पर आयात व दूसरे देशों पर निर्भरता की स्थिति लगातार बनी हुई है। लगभग एक दशक पहले,...

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नए संकट ज्यादा गंभीर हैं -- हिमांशु

पिछले साल की आखिरी शाम को दिया गया प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का राष्ट्र के नाम संदेश उन ऊंचाइयों तक पहुंचने में नाकाम रहा, जिसका प्रचार किया गया था। लोग बीते 50 दिनों से कठिनाइयों का डटकर सामना कर रहे थे। इन दिनों वे कतारों में लगे रहे और अपनी खरीदारी भी कम की। मुश्किलों से राहत मिलने की उम्मीद वे मोदी के भाषण से लगा रहे थे। उन्हें यह भी...

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आंकड़ों में ही कम हो रही महंगाई - अनुराग चतुर्वेदी

बढ़ती महंगाई एक बार फिर चर्चा में है। वरना तो महंगाई का जिक्र चुनावी सभाओं या नीति आयोग जैसी संस्थाओं की गंभीर बैठकों में होता है। अर्थशास्त्री इसे मुद्रास्फीति से जोड़ते हैं तो किसान-दुकानदार 'मुनाफाखोरी" से। महंगाई पर चर्चा क्या सिर्फ आंकड़ों की कलाबाजी है या फिर यह हकीकत से भी जुड़ी है? सरकार का दावा है कि मुद्रास्फीति की दर दो अंकों से गिरकर एक अंक की हो गई...

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