बेकार मोबाइल, कंप्यूटर मदरबोर्ड, खराब हो चुके फ्रिज, वातानुकूलक आदि ई-कचरा की श्रेणी में आते हैं। आज की तारीख में ई-कचरा प्रबंधन केंद्रों में प्रबंधन के नाम पर ई-कचरे से कीमती धातुओं जैसे सोने, चांदी, प्लेटिनम और पैलेडियम के अंश को निकाले जाने का काम किया जा रहा है। कंप्यूटर के दूसरे हिस्सों को भी बेच दिया जाता है। हालांकि इस प्रक्रिया में जहरीली गैस निकलने की आशंका बनी रहती...
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बहुत कठिन है खेती की राह..जानिए कैसे
भारत में किसानों की दशा दशकों तक नजरअंदाज किये जाने के कारण अब बुरी तरह बिगड़ चुकी है. सरकार ने खेतिहरों की आय दोगुना करने तथा उपज का उचित दाम दिलाने का वादा किया है, जिसे पूरा करने की दिशा में इस साल कुछ ठोस कोशिश की उम्मीद है. खेती को फायदेमंद पेशा बनाने, फसलों के सही मूल्य दिलाने, कर्ज से राहत आदि की प्राथमिकताएं इस साल हैं. इस संबंध...
More »ग्रीष्मकालीन धान फसल का नहीं होगा बीमा, दलहन-तिलहन को वरीयता
कोरबा। रबी फसल के तहत ग्रीष्म धान को प्रधानमंत्री बीमा योजना में इस वर्ष शामिल नहीं किया गया गया है। किसानों को बुआई में इसका लाभ नहीं मिल सकेगा। रबी पुसल के लिए 39 हजार हेक्टेयर क्षेत्राच्छादन का लक्ष्य तय किया गया है। सिंचित व असिंचित क्षेत्र में गेहूं के अलावा दलहन-तिलहन के साथ आलू बुआई को वरीयता दी जा रही है। उक्त पुसलों को लिए प्रधानमंत्री बीमा योजना के...
More »सस्ते आयात से दुश्चक्र में किसान-- रमेश कुमार दूबे
हाल ही में जारी अंतरराष्ट्रीय खाद्य नीति शोध संस्थान (आइएफपीआरआइ) के वैश्विक भूख सूचकांक में भारत पिछले साल की तुलना में तीन पायदान नीचे लुढ़क कर सौवें स्थान पर पहुंच गया। रिपोर्ट में इसके लिए सार्वजनिक वितरण प्रणाली और मध्यान्ह भोजन योजना में भ्रष्टाचार को जिम्मेदार ठहराया गया है लेकिन यह नहीं बताया गया है कि सस्ते आयात के कारण खेती घाटे का सौदा बनती जा रही है। गौरतलब है...
More »विषमता की बढ़ती खाई-- जयराम शुक्ल
मुट्ठी भर गोबरी का अन्न लेकर लोकसभा पहुंचे डॉ राममनोहर लोहिया ने तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरूसे कहा- लीजिए, आप भी खाइए इसे, आपके देश की जनता यही खा रही है। पिछले दिनों जब विश्व के भुखमरी सूचकांक (हंगर इंडेक्स) में 119 देशों में भारत के सौवें स्थान पर होने के बारे में पढ़ा तो 1963 का नेहरू-लोहिया का वह प्रसंग जीवंत हो गया, जिसमें लोहिया ने तीन आने बनाम पंद्रह...
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