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अकथ कहानी खेत की-- राकेश दीवान

जून महीने के बीस दिनों में हुर्इं चालीस से अधिक किसानों की आत्महत्याओं का किसी के पास कोई जवाब नहीं है। किसान आंदोलन से निपटने के लिए सरकार को ‘न्यूनतम समर्थन मूल्य' पर केवल तुअर, मूंग और उड़द खरीदने और आठ रुपए किलो में प्याज खरीदने और फिर भंडारण की कमी के चलते सड़ाने की तजवीज भर नजर आई। आज भी किसानी ‘अन-स्किल्ड' यानी अकुशल श्रम भर मानी जाती है...

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परंपरागत तरीकों से सूखे की समस्या को मात देते लोग - पंकज चतुर्वेदी

अभी देश से मानसून बहुत दूर है और भारत का बड़ा हिस्सा सूखे, पानी की कमी व पलायन से जूझ रहा है। बुंदेलखंड के तो सैकड़ों गांव वीरान होने शुरू भी हो गए हैं। एक सरकारी आंकड़े के मुताबिक, देश के लगभग सभी हिस्सों में बड़े जल संचयन स्थलों (जलाशयों) में पिछले साल की तुलना में कम पानी बचा है। यह सवाल हमारे देश में लगभग हर तीसरे साल खड़ा...

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परंपरागत तरीकों से सूखे की समस्या को मात देते लोग-- पंकज चतुर्वेदी

अभी देश से मानसून बहुत दूर है और भारत का बड़ा हिस्सा सूखे, पानी की कमी व पलायन से जूझ रहा है। बुंदेलखंड के तो सैकड़ों गांव वीरान होने शुरू भी हो गए हैं। एक सरकारी आंकड़े के मुताबिक, देश के लगभग सभी हिस्सों में बड़े जल संचयन स्थलों (जलाशयों) में पिछले साल की तुलना में कम पानी बचा है। यह सवाल हमारे देश में लगभग हर तीसरे साल खड़ा...

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किसानों की बदहाली दूर करने के लिए...- शुभ्रता मिश्रा

हिन्दुओं की एक पौराणिक कथा के अनुसार एक बार पृथ्वी पर लगातार सौ वर्षों तक वर्षा नहीं हुई थी। अन्न-जल के अभाव में भूख से व्याकुल होकर समस्त प्राणी मरने लगे थे और इस कारण चारों ओर हाहाकार मच गया था। उस समय समस्त मुनियों ने मिलकर देवी भगवती की उपासना की एवम् दुर्गा जी ने शाकम्भरी नाम से स्त्री रूप में अवतार लिया और उनकी कृपा से वर्षा हुई।...

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एक आइडिया से बदहाल गांव बना खुशहाल

मिसाल : लापोड़िया गांव के लक्ष्मण अब तक लगा चुके हैं 60 लाख से ज्यादा पेड़ पिछले दिनों एक्सएलआरआइ,जमशेदपुर ने सामाजिक उद्यमिता पर तीन दिनों का एक राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया था. इस सम्मेलन में देशभर के 100 से ज्यादा सामाजिक उद्यमियों ने हिस्सा लिया था. इसी कार्यक्रम में भाग लेने लक्ष्मण सिंह भी आये थे, जिन्हें पर्यावरण संरक्षण के लिए लगभग 300 एवार्ड मिल चुके हैं. जानिए इस...

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