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बढ़ती महंगाई से कोई अछूता नहीं, इस पर लगाम जरूरी

-रूरल वॉइस, थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) के आधार पर  थोक बाजारों में मुद्रास्फीति  की दर  नवंबर में 14.23 फीसदी पर पहुंच गई जो  पिछले  कई दशकों  में सबसे ज्यादा है । यह स्थिति  देश के नीति विश्लेषकों और  अर्थशास्त्रियों के अनुसार बहुत बडा झटका देने वाली है लेकिन इस स्थिति से वास्तव  मे नीतिनिर्धारक कितने चिंतित है इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है।  पिछले आठ महीने से मुद्रास्फीति दहाई  में बनी हुई...

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जानें कैसे हवा को ठंडा करने की तकनीकें पृथ्वी को गर्म कर रही हैं?

-इंडियास्पेंड, क्या आप जानते हैं कि एयर कंडीशनर जैसी रेफ्रिजेरेशन और कूलिंग तकनीकें 100 करोड़ टन से अधिक कार्बन-डाइऑक्साइड उत्सर्जन (CO2) करती हैं? ये आंकड़े जापान के उत्सर्जन के बराबर हैं, जो 2018 में दुनिया का पांचवां सबसे बड़ा कार्बन-डाइऑक्साइड उत्सर्जक देश था। भारत ने ऊर्जा-बचत और जलवायु-अनुकूल कूलिंग तकनीकों के लिए एक इंडिया कूलिंग एक्शन प्लान (ICAP) तैयार किया गया था, लेकिन विशेषज्ञों के मुताबिक, इसके लॉन्च होने के दो...

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ग्लासगो के संकल्प कहीं हिमालय को बर्बाद न कर दें!

-गांव सवेरा, स्काटलैंड के शहर ग्लासगो में सीओपी26 (कान्फ्रेंस ऑफ पार्टिस 26) का आयोजन 1 नवंबर से शुरु हुआ था। भारत का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसमें शामिल होते हुए जिन समझौतों और संकल्पों पर हस्ताक्षर किए हैं इससे न केवल भारत पर अमेरिका, ब्रिटेन जैसे साम्राज्यवादी देशों को शिकंजा बुरी तरह से कसा जाएगा बल्कि यह पूरे देश सहित हिमालय क्षेत्र के लिए बुरे नतीजे निकलने वाले हैं। नेट जिरो...

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जेवर एयरपोर्ट; जश्न और हक़ीक़त: कोई विस्थापित ग्रामीणों का भी दुख पूछे

-न्यूजक्लिक, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार यानी 25 नवंबर को उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्ध नगर में बन रहे देश के सबसे बड़े इंटरनेशनल एयरपोर्ट व अपने ड्रीम प्रोजेक्ट ‘जेवर एयरपोर्ट’(नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट, जेवर) का शिलान्यास किया। इस दौरान जहां मंच से लेकर रैली में आए लोगों में जश्न का माहौल रहा, वहीं दूसरी ओर जिन किसानों ने जेवर एयरपोर्ट के लिए अपनी जमीनें दी, वहां की तस्वीर पीएम मोदी के मंच...

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बुंदेलखंड: पानी की तरह बहा पैसा, लेकिन लोगों की प्यास नहीं बुझी

-बीबीसी, ''पानी की बहुत परेशानी है हमें. चार किलोमीटर दूर से पानी लाते हैं. पानी की परेशानी इतनी है, पूरे गांव भर को परेशानी है. हमें ही नहीं पूरे गांव को है. यहां हमें पानी की सुविधा हो जाए तो क्यों भागे भागे जाएं रोड पार करके. कभी रात को जाएं कभी आधी रात को जाएं, क्या करें दिनभर भरते रहें.'' उत्तर प्रदेश के ललितपुर ज़िले की रहने वाली सुखवती ये कहते...

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