-न्यूजक्लिक, मोदी सरकार ने जो तीन कृषि कानून हड़बड़ी में संसद से पारित करवाए हैं, वे किसान उत्पादकों को सीधे कॉर्पोरेट खरीदारों का सामना करने के लिए छोड़ देते हैं, और तो और उनके बीच राज्य का कोई हस्तक्षेप ही नहीं रहेगा। सरकार का दावा है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य की व्यवस्था के रूप में उसका हस्तक्षेप तो फिर भी बना रहेगा। लेकिन, यह मानने वाली बात नहीं है। अगर एमएसपी की...
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मनरेगा से बने चेकडैम से 10 गुणा तक बढ़ी ग्रामीणों की आमदनी
-डाउन टू अर्थ, जालौन जिले के मीगनी ग्राम पंचायत के तहत आने वाले हिम्मतपुरा और मीगनी गांव की तस्वीर बदलने में मनरेगा ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसका सबसे अधिक फायदा दलित और वंचित तबकों को पहुंचा है। इसे हिम्मतपुरा गांव से समझा जा सकता है। गांव में सभी निवासी दलित समुदाय के हैं। इस गांव में साल 2004 में परमार्थ समाजसेवी संस्था की मदद से एक चेकडैम बनाया गया था।...
More »होलिका दहन की रात अपने गन्ने की फ़सल क्यों जलाना चाहते हैं रीगा के किसान?
-न्यूजक्लिक, बिहार के सीतामढ़ी जिले के रीगा निवासी किसान रामश्रेष्ठ सिंह कुशवाहा इस रविवार को एक बैठक में अपनी आपबीती सुनाते हुए कह रहे थे कि “मैंने एक बीघा जमीन पर इस बार गन्ने की खेती की है। गन्ना तो बिका नहीं। पांच कट्ठे जमीन पर लगी गन्ने की फसल को मैंने जला दिया है, बाकी बचे 15 कट्ठे जमीन में लगे गन्ने को मैं होलिका दहन की रात जला दूंगा।...
More »मोदी सरकार के आने बाद से नहीं हुआ किसानों की आमदनी का सर्वे
-न्यूजलॉन्ड्री, एक तरफ जहां केंद्र सरकार साल 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुनी करने की बात कर रही है वहीं दूसरी तरफ साल 2013 के बाद से राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) ने किसानों की आय को लेकर अपनी रिपोर्ट प्रकाशित नहीं की है. यानी नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने के बाद से किसानों की आमदनी को लेकर कोई सर्वेक्षण नहीं किया गया है. बीते 8 फरवरी को कई सांसदों ने सामूहिक...
More »राजद्रोह: जुबान बंद रखो, वरना...
-आउटलुक, “राजद्रोह कानून का दुरुपयोग चिंताजनक हद तक बढ़ा” तानाशाही और लोकलुभावनवाद का जोर जिस दौर में स्थापित लोकतंत्रों में भी बढ़ रहा है, राजद्रोह का कानून सरकार का पसंदीदा औजार बन गया है। भारत में पहले भी कई सरकारें राजनैतिक वजहों से राजद्रोह कानून का इस्तेमाल करती रही हैं, लेकिन पिछले कुछ वर्षों से असहमति को गैर-कानूनी साबित करने के लिए इसका बड़े पैमाने पर दुरुपयोग भारी चिंताजनक है। इसे लोकतंत्र...
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