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चुनावी गंगा: बिहार में 74 फीसदी सीवेज प्रदूषण झेल रही राष्ट्रीय नदी बनेगी 37वें मुख्यमंत्री की गवाह

-न्यूजलॉन्ड्री,  बिहार में चुनावी चाल तेज रफ्तार पकड़ चुकी है लेकिन मैदान में मंद गति के प्रवाह वाली गंगा चुप और उदास हैं. 10 नवंबर, 2020 को जब बिहार में चुनाव के नतीजे आएंगे तो मल-कीचड़, ठोस कचरा और उद्योगों से प्रदूषित राष्ट्रीय नदी का दर्जा रखने वाली गंगा सूबे के 37वें मुख्यमंत्री की साक्षी भी बन जाएंगी. यह भी संभव है कि जीतने-हारने वाले प्रत्याशी को शायद चुल्लू भर गंगाजल...

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हाशिए पर दलित

-आउटलुक, “कई ऐसे नीतिगत फैसले हुए जिनसे दलितों को उनके संवैधानिक अधिकार कम होने की आशंका” शुरुआत राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के निराशाजनक तथ्य से करते हैं। इस साल की शुरुआत में आई इसकी रिपोर्ट के अनुसार दलितों के खिलाफ अपराध में उत्तर प्रदेश सबसे ऊपर है। इनमें बलात्कार, हत्या और जमीन से जुड़े विवाद शामिल हैं। इन अपराधों में 2014 से 2018 के दौरान 45 फीसदी बढ़ोतरी हुई। इसके बाद...

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बिहार चुनाव: क्या राज्य की कृषि व्यवस्था पूरी तरह से नाकाम हो चुकी है

-बीबीसी, "हम दिन भर खेती करते हैं, दिन भर कमाते हैं और एसी वाले बैठकर खाते हैं. हम भी जनता हैं, हम वोट देने वाले हैं. हम काम देखेंगे. ऐसा नहीं कि आपको वोट दे दिया तो अपने घर में जाकर बैठ जाइए और हमारा विकास ना हो." पूर्वी चंपारण में खेती करने वाले किसान अरविंद सरकारों की उदासीनता पर ग़ुस्से में कहते हैं. उनके साथ-साथ बाक़ी कई किसानों की भी यही शिकायत...

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बिहार एक बार फिर देश को रास्ता दिखा सकता है, रोज़गार बन रहा है चुनाव का केंद्रीय सवाल

-न्यूजक्लिक, बिहार चुनाव में मोदी जी की सीधी एंट्री 23 अक्टूबर से होने जा रही है। पहले चरण के चुनाव के एक सप्ताह पूर्व। वैसे उनके नम्बर दो के स्टार प्रचारक योगी जी 20 अक्टूबर से मैदान में उतर रहे हैं। (अपना हाथरस, बलिया वाला रामराज का UP मॉडल लेकर! ) सवाल यह है कि NDA के हाथ से जो बाजी निकलती जा रही है, क्या वे इसे पलट पाएंगे? चुनाव की घोषणा...

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बिहार में 'विकास की जाति' पर बात करने से क्यों डरते हैं हिंदीपट्टी के राजनीतिक टिप्पणीकार!

-न्यूजलॉन्ड्री, पिछले तीस वर्षों की भारतीय राजनीति, खासकर उत्तर भारतीय राजनीति पर जब टिप्पणीकार टिप्पणी करते हैं तो सामान्यता इस बात का जिक्र करना नहीं भूलते कि किस तरह विभिन्न जाति के नेताओं ने सिर्फ अपनी जाति का विकास किया. वही टिप्पणीकार हालांकि जान-बूझकर इस बात को भूल जाते हैं कि बिहार में विकास भी जाति के आधार पर होता है. दरअसल, वहां आज तक जातिगत आधार पर ही विकास को...

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