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नाम के नागरिक- बृजेश सिंह (तहलका हिन्दी)

वहां से निकलना आसान नहीं है और वहां रहना तो और भी मुश्किल. सरकारी कुनीतियों के चलते अलीराजपुर में कुछ टापुऑं पर दिन बिता रहे सरदार सरोवर बांध के विस्थापितों की जिंदगी में उम्मीद को छोड़कर सब कुछ है. गरीबी, भूख, कुपोषण, बेरोजगारी और इन सबसे उपजी उनकी लाचारी की क्या कोई सुध लेगा? बृजेश सिंह की रिपोर्ट यह कहानी मध्य प्रदेश के कुछ ऐसे गांवों की है जिनके रहवासी युद्ध...

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राशन पर सरकारी डाका -- प्रशांत कुमार दुबे

सरकार अब राशन में खाद्यान्न की जगह नकद भुगतान करने जा रही है. इसका पायलट फेज दिल्ली की दो बस्तियों में प्रारंभ भी कर दिया गया है. सरकार के इस कदम के बाद यह कहना गलत नहीं होगा कि सरकार अपनी संवैधानिक प्रतिबद्धता को भी समाप्त करने की कोशिश कर रही है. हालांकि सार्वजनिक वितरण प्रणाली को कमजोर करने की साजिश तो वर्ष 1991 के बाद से ही शुरु हो...

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असल संत की अंत कथा- आशीष खेतान और मनोज रावत

गंगा को लेकर संतों और खनन माफिया के बीच छिड़ी लड़ाई में उत्तराखंड की भाजपा सरकार ने एक नहीं बल्कि बार-बार और खुल्लमखुल्ला खनन माफिया का साथ दिया है. स्वामी निगमानंद की मौत के पीछे का सच सामने लाती आशीष खेतान और मनोज रावत की विशेष पड़ताल बाबा रामदेव को ध्यान खींचने की कला आती थी. स्वामी निगमानंद के पास यह हुनर नहीं था. इसलिए एक ओर रामदेव विदेशों में जमा...

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एक स्कूल ऐसा भी जहां केवल झंड़ा फहराने आते हैं शिक्षक

पाकुड़। शिक्षा के क्षेत्र में सूबे का सर्वाधिक पिछड़ा जिला पाकुड़ का लिट्टीपाड़ा प्रखण्ड वास्तव में शिक्षक व अधिकारियों के कारण पिछड़ा है। आदिवासी व पहाड़िया बहुल यह क्षेत्र दुर्गम पहाड़ी इलाका होने के कारण सरकार की नजरों से भी दूर है। ऐसे में अधिकारियों की मिलीभगत से यहां मैनेज करने का धंधा बदस्तूर जारी रहता है। इसी क्रम में शिक्षा के क्षेत्र में हो रही गड़बड़ियों के विरूद्ध जिले में भास्कर...

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शख्शियत बड़ी या संदेश- राजदीप सरदेसाई

‘क्या आप जानते हैं कि हमारे देश में चुनाव कैसे होते हैं? पिता के लिए शराब, मां के लिए कपड़े और बच्चे के लिए भोजन।’ ‘आखिर इस देश में क्या भ्रष्ट नहीं है? भारत का केंद्रीय व्यसन या दोष भ्रष्टाचार है; भ्रष्टाचार की केंद्रीय धुरी है चुनावी भ्रष्टाचार; और चुनावी भ्रष्टाचार की केंद्रीय धुरी हैं कारोबारी घराने।’ उपरोक्त उक्तियां अन्ना हजारे द्वारा कही गई बातों जैसी लगती हैं। हालांकि ये बातें...

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