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गरीबी से जंग के भोथरे हथियार- रीतिका खेड़ा

पिछले दिनों न्यूयॉर्क टाइम्स में (अमर उजाला में भी, 24 जुलाई) प्रकाशित अपने लेख में सरकार के आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन और अर्थशास्त्री सिद्धार्थ जॉर्ज ने नकद हस्तांतरण को लेकर कुछ ज्यादा ही सरल और आशावादी विश्लेषण पेश किया। मगर नकद हस्तांतरण की मौजूदा व्यवस्‍था में इतनी त्रुटियां है, जिन्हें दूर किए बगैर खाद्य हस्तांतरण को नकद व्यवस्‍था में बदलने का सपना देखना बड़ी भूल होगी। जबकि 'जेएएम' (जैम-जनधन, आधार,...

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केंद्र की तीन योजनाओं से जुड़े दस करोड़ लोग

नितिन प्रधान, नई दिल्ली। अपने भविष्य और सामाजिक सुरक्षा के सरोकारों को लेकर शहरी महिलाओं की अपेक्षा ग्रामीण महिलाएं ज्यादा सजग और गंभीर हैं। सामाजिक सुरक्षा से जुड़ी तीन स्कीमों के आंकड़े तो कम से कम यही जाहिर कर रहे हैं। इन तीनों स्कीमों में पंजीकरण की संख्या को देखें तो शहरी महिलाओं की तुलना में ग्रामीण महिलाएं आगे रही हैं। प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना (पीएमजेजेबीवाई), प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना...

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न्यूनतम सरकार अधिकतम शोषण- के सी त्यागी

श्रमिकों के शोषण का लंबा इतिहास रहा है। इसके विरुद्ध श्रमिकों ने समय-समय पर आवाज उठाई। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर श्रम कानून बने। मजदूर संगठित हुए, उन्हें अधिकार मिले, स्वतंत्रता मिली, सामाजिक सुरक्षा का दायरा बढ़ा। इसका असर हमने भारत में भी देखा। लेकिन नई औद्योगिक नीति और उदारीकरण का दौर परवान चढ़ने के साथ ही श्रमिक फिर शोषण का शिकार हुए। उनका सामाजिक दायरा घटा, अधिकार सिकुड़ते चले गए। इसी...

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AAP सरकार को नहीं पता, दिल्ली में कितने लोग अक्षम

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। शारीरिक व मानसिक रूप से अक्षम लोगों के लिए योजनाएं व सुविधाएं प्रदान कर उन्हें समाज की मुख्यधारा से जोड़ने की कवायद चलताऊ तरीके से हो रही है। दिल्ली सरकार के समाज कल्याण विभाग के पास आज भी कोई आंकड़ा नहीं है कि शारीरिक रूप से कितने अक्षम लोग यहां रह रहे हैं। इसी का नतीजा है सरकार आज तक इनके लिए कोई कारगर कदम नहीं...

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छत्‍तीसगढ़ के अबूझमाड़ में घरों में संचालित हो रहे स्कूल

मो.इमरान खान, नारायणपुर(ब्यूरो)। प्रदेश के सबसे संवेदनशील इलाके में शुमार नारायणपुर जिले की शिक्षा व्यवस्था आजादी के 67 वर्षों के बाद भी पटरी में नहीं आ पाई है। मंगलवार से शाला प्रवेशोत्सव सरकारी कोरम पूरा करते शुरू कर दिया गया है। बड़े-बड़े वादों एवं नारों के साथ स्कूलों के पट खोले जाते है लेकिन सत्र की समाप्ति तक इन पर अमल नहीं हो पा रहा है। स्कूली शिक्षा मंत्री केदार कश्यप...

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