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झारखंड- राज्य भर में 27 लाख एकड़ है सरकारी भूमि

रांची: झारखंड में 27 लाख एकड़ से अधिक सरकारी भूमि है. राज्य भर में सरकारी भूमि का कुल रकबा 37 लाख एकड़ से अधिक है. इनमें से बंदोबस्त की गयी भूमि 16 लाख एकड़ से अधिक है. विभिन्न विभागों के पास 82,888 एकड़ सरकारी भूमि है. राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग की ओर से राज्य भर से गैर मजरुआ (खास) और गैर मजरुआ (आम) जमीन की विवरणी तैयार की गयी...

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कनहर में दफन होती समाजवाद की थीसिस- अभिषेक श्रीवास्तव

इस साल अक्षय तृतीया पर जब देशभर में लगन चढ़ा हुआ था, बारातें निकल रही थीं और हिंदी अखबारों के स्थानीय संस्करण हीरे-जवाहरात के विज्ञापनों से पटे पड़े थे, तब बनारस से सटे सोनभद्र के दो गांवों में पहले से तय दो शादियां टल गईं. फौजदार (पुत्र केशवराम, निवासी भीसुर) के बेटे का 22 अप्रैल को तिलक था. शादी अगले हफ्ते होनी थी. पड़ोस के गांव में 24 अप्रैल को...

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न्यूनतम समर्थन मूल्य किसानों के लिए कितना मददगार ?

अगर आप मानते हैं कि न्यूनतम समर्थन मूल्य देश के ज्यादातर किसानों को उपज का लाभकर मूल्य दिलाने में कारगर है तो आप गलत सोच रहे हैं। अगर विश्वास ना हो तो नीचे राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण की नई रिपोर्ट के इन तथ्यों पर गौर कीजिए।(देखें नीचे दी गई रिपोर्ट) साल 2012 के जुलाई महीने से दिसंबर महीने के बीच देश के किसान प्रति क्विंटल धान में से महज 17 किलो सहकारी या...

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महुआ की बिक्री पर नियंत्रण गरीबों के खिलाफ : हेमंत सोरेन

रांची : नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन ने उत्पाद विभाग द्वारा बनाये जा रहे महुआ कंट्रोल रूल को गरीबों के खिलाफ बताया है. उन्होंने मुख्यमंत्री रघुवर दास को पत्र लिखकर ऐसे बिल को सहमति न प्रदान करने की अपील की है. उन्होंने लिखा है कि झारखंड के लगभग 25 लाख परिवार का गुजर-बसर महुआ फुल के कारण होता है. इसमें अधिकांश गरीब आदिवासी परिवार शामिल हैं. इस नियम के प्रभावी...

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65 हजार करोड़ के निवेश से हो गये वंचित

झारखंड में जब तक जमीन की समस्या का कोई रास्ता नहीं निकलता, इस राज्य को विकसित राज्य बनाना मुश्किल होगा. राज्य बनने के बाद अनेक कंपनियों ने झारखंड आना चाहा, लेकिन अधिकांश को जमीन नहीं मिल पायी. एमओयू होते गये लेकिन ये जमीन पर नहीं उतारे गये. 37 स्टील कंपनियों ने तो एमओयू वापस ले लिया या रद्द कर दिया. अगर ये कंपनियां यहां लग गयी होती तो न सिर्फ...

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