नयी दिल्ली : हिंदू और मुस्लिमों को छोड़कर देश में रहने वाले अन्य समुदायों की बात करें तो उनमें बच्चे पैदा करने की दर में खासी कमी दर्ज की गयी है. यही नहीं , यह स्तर रिप्लेसमेंट लेवल से भी कम हो चुका है. इसका मतलब यह है कि यदि बच्चे इस रफ्तार से पैदा हुए तो भविष्य में समुदाय की आबादी मौजूदा संख्या से भी कम रह जाएगी. हिंदुओं...
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सोशल मीडिया की ताकत-- आकार पटेल
हमारे पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की तरह अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा भी एक बौद्धिक व्यक्ति हैं और दुनियाभर में उनका सम्मान है. इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता है कि कुछ लोग दोनों को असफल नेता मानते हैं, या तो इस कारण कि मनमोहन सिंह के पास करिश्मा व व्यक्तिगत शक्ति नहीं है, या फिर इस वजह से कि ओबामा नस्लीय तौर पर एक अल्पसंख्यक समुदाय से...
More »रोजगार की आस में युवा-- विश्वनाथ सचदेव
राजस्थान विधानसभा सचिवालय में चपरासी के 17 पदों के लिए 12,500 लोगों द्वारा आवेदन भेजना महत्वपूर्ण समाचार है. लेकिन, इसकी गंभीरता और बढ़ जाती है, जब यह पता चलता है कि चपरासी बनने के लिए कतार में खड़े उम्मीदवारों में 129 इंजीनियर हैं, 23 वकील हैं, एक चार्टर्ड एकाउंटेट हैं, 393 स्नातकोत्तर हैं और 1,500 से अधिक स्नातक हैं. जबकि इस पद के लिए मात्र पांचवीं पास होना पर्याप्त...
More »जेल सुधार का इंतजार-- पीयूष द्विवेदी
भारतीय समाज में जेल को लेकर अमूमन यही धारणा देखने को मिलेगी कि वह एक यंत्रणा-स्थल है, जहां अपराधी को उसके अपराधों के लिए तकलीफदेह तरीके से रख कर दंडित किया जाता है। इस धारणा को एकदम गलत तो नहीं कह सकते, मगर यह पूरी तरह सही भी नहीं है। निस्संदेह जेल में व्यक्ति को कठिन परिस्थितियों में ही रहना होता है, पर इसका यह अर्थ नहीं कि वह यंत्रणा-स्थल...
More »महाराष्ट्र के संदेश को सुनिए-- शशि शेखर
पिछले दिनों आधे से अधिक महाराष्ट्र को जातीय हिंसा की आग ने जिस तेजी से अपनी चपेट में लिया, उससे आशंकित और आतंकित होना लाजिमी है। इस दौरान उन्माद में अंधे हो रहे लोगों ने पाठशाला से घर लौट रहे मासूमों की बसों तक पर पथराव किया। भय से कंपाते बच्चों को अपने सहपाठियों के यहां शरण लेनी पड़ी। उधर, उनके मां-बाप मुंबई महानगर के मुख्तलिफ हिस्सों में बेबसी जीने...
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