नरेंद्र मोदी आखिर किसका प्रतिनिधित्व करते हैं, और भारतीय राजनीति में उनके उदय के क्या मायने हैं? 2002 के मुस्लिम विरोधी दंगों का बोझ अब भी उनके कंधों पर है। ऐसे में, सांप्रदायिक राजनीति के ऐतिहासिक उभार के तौर पर गुजरात के मुख्यमंत्री का राष्ट्रीय पटल पर उदय होते देखना खासा दिलचस्प रहेगा। संघ परिवार के वफादार और हिंदू मध्य वर्ग का एक बड़ा हिस्सा आज अगर उनका भक्त बना है,...
More »SEARCH RESULT
अप्रैल में दालें महंगी होने का अनुमान
विदेशी असर : म्यांमार में उड़द व अरहर के स्टॉक में कमी से तेजी के संकेत घरेलू सप्लाई प्रतिकूल मौसम से चना व मसूर की घरेलू फसल पर असर आयातित अरहर, उड़द और मूंग कीमतों में तेजी का रुख चालू माह में मूल्य 25 से 50 डॉलर प्रति टन तक बढ़े रबी में दलहन की रिकॉर्ड पैदावार के अनुमान के बावजूद दालों की कीमतों में तेजी की संभावना है। चालू महीने में ही आयातित...
More »शिक्षा की परीक्षा में जवाबदेही का सवाल- अनुराग बेहर
आम सोच यह है कि स्कूल व शिक्षक जवाबदेह नहीं हैं, इसलिए स्कूली शिक्षा की हालत खराब है। लेकिन यह मसला इतना परेशान करने वाला क्यों है? आइए, बात को ‘जवाबदेही’ शब्द से ही शुरू करें और इसके इस्तेमाल को समझों। आज इस शब्द का सबसे अधिक इस्तेमाल कारोबारी दुनिया में होता है। इस तरह की सोच यांत्रिक प्रणालियों का नतीजा है, वहां पर लोगों को किसी चीज की जिम्मेदारी...
More »विकास में केंद्रीय सहायता जरूरी- सतीशचंद्र झा
राज्य का विकास कैसे हो, यह वहां की सरकार की प्रतिबद्धता से जुड़ा होता है. बिहार विकास के मामले में देश के अन्य राज्यों से पीछे है. लेकिन पिछले कुछ वर्षो से इसमें बदलाव आया है. बिहार और झारखंड को विकास के लिए विशेष दरजा दिया जाना चाहिए. बिहार सरकार की यह मांग जायज भी है, क्योंकि झारखंड अलग होने के बाद बिहार में संसाधन नहीं के बराबर रह गये. इसके...
More »नवउदारवाद से उपजी चुनौतियां- प्रभात पटनायक
जनसत्ता 22 फरवरी, 2014 : यूपीए सरकार और राजग सरकार और यहां तक कि ‘तीसरे मोर्चे’ की अल्पायु सरकार भी आर्थिक नीतियों के मामले में एक जैसी ही रहीं। आज भी, जब चुनावी विकल्प के रूप में राहुल गांधी और नरेंद्र मोदी का शोरशराबा हो रहा है, आर्थिक नीतियों के स्तर पर शायद ही कोई बुनियादी फर्क हो। सच्चाई तो यह है कि मोदी खुद इस बात पर जोर देते...
More »