एक हिमालय नीति की जरूरत दशकों से महसूस की जा रही है। पूरे विश्व ने व संयुक्त राष्ट्र ने भी आधिकारिक रूप से यह माना है कि पहाड़ों के विकास की अलग रणनीति और तौर-तरीके होने चाहिए। पूर्व में अंतरराष्ट्रीय पर्वतीय वर्ष भी मनाया गया था। अमेरिका में तो पर्वतीय विकास पर काम करने के लिए अलग से एक अंतरराष्ट्रीय संस्थान है। इसी क्रम में हिमालय के लिए एक अलग...
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निजता के अधिकार पर प्रहार-- रीतिका खेड़ा
पिछले हफ्ते जब सुप्रीम कोर्ट में ‘राइट टू प्राइवसी' यानी निजता के अधिकार पर सुनवाई चल रही थी, तब सरकारी वकील केके वेणुगोपाल ने पीठ पर बैठे नौ जजों से कहा कि ‘जीवन का अधिकार', ‘निजता के अधिकार' से ऊपर है, और चूंकि आधार जीवन के अधिकार को ‘रीयलाइज' करने के लिए जरूरी है, इसलिए आधार प्रोजेक्ट को चलने देना चाहिए, बावजूद इसके कि शायद कहीं और कभी-कभी उससे निजता...
More »बैंकों से दिए जा रहे कर्जे में कमी के संकेत-- आर बी आई के नये आंकड़े
पिछले एक साल में देश में बैंक ऋण में बढ़वार कम हुई है. यह अर्थव्यवस्था के लिहाज से एक खराब संकेत हो सकता है. बीते माह जारी रिजर्व बैंक के आंकड़ों और प्रेस विज्ञप्ति से पता चलता है कि 26 मई 2017 तक सकल बैंक ऋण की सालाना बढ़वार 3.5 फीसद रही जबकि 27 मई 2016 को बैंक ऋण की सालाना बढ़वार की दर 8.0 प्रतिशत थी. गौरतलब है कि जीडीपी और जीवीए(ग्रास वैल्यू एडेड) के...
More »गेंद जैसे उछल रहे सोसाइटी से खरीदे चावल से बने लड्डू
बालोद। जिला मुख्यालय बालोद के ग्राम पीपरछेड़ी, पोण्डी, मटिया एवं चारवाही के ग्रामीणों के बीच राशन दुकान में मिलने वाले चावल में प्लास्टिक के चावल होने की आशंका से ग्रामिणों के बीच दहशत की स्थिति बनी हुई है। इसके चलते सरकारी दुकानों से राशन खरीदने में कतराने लगे हैं। ग्राम पोण्डी, लोण्डी, खैरवही, चारवाही, पीपरछेड़ी, निपानी, भेड़िया नवागांव, हीरापुर के ग्रामीणों ने बताया कि सोसाइटी से खरीदकर लाए गए चावल का...
More »जीएसटी की जटिलता से बढ़ी उलझनें - रणदीप एस सुरजेवाला
कांग्र्रेस के नेतृत्व वाली संप्रग सरकार ने एक सरल कर के रूप में जीएसटी की जो परिकल्पना की थी, उसका मकसद देश में केवल एकसमान टैक्स लागू करना ही नहीं, बल्कि उसकी दरें भी कम करना था। इससे कर ढांचा सरल होने के साथ ही महंगाई में भी खासी कमी आती। 2011 में कांग्र्रेस सरकार ने 115वें संविधान संशोधन विधेयक के जरिए जो जीएसटी विधेयक पेश किया था, वह न...
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