ग्रेटर नोएडा। नोएडा एक्सटेंशन का भविष्य मंगलवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट में होने वाली सुनवाई पर टिका हुआ है। प्राधिकरण, किसान, बिल्डर, निवेशक, ठेकेदार व मजदूर सभी की निगाहें इस पर लगी हुई हैं। साबेरी व पतवाड़ी की तरह कोर्ट का निर्णय किसानों के पक्ष में आया तो समूचे नोएडा एक्सटेंशन पर ग्रहण लग जाएगा। ऐमनाबाद गांव में बिल्डरों की तीन परियोजनाओं को छोड़कर बाकी सभी प्रभावित हो जाएंगी। हाईकोर्ट में मंगलवार...
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नोएडा एक्सटेंशन में आज किसकी है बारी?
नोएडा।। नोएडा एक्सटेंशन में जीमन अधिग्रहण को लकेर इलाहाबाद हाईकोर्ट में मंगलवार को होने वाली सुनवाई पर लोगों की निगाहें लगी हुई हैं। सुनवाई कोर्ट नंबर तीन में जस्टिस अमिताव लाला और जस्टिस अशोक श्रीवास्तव की खंडपीठ करेगी। ग्रेटर नोएडा के लिए जिन किसानों की जमीनों का सरकार ने अधिग्रहण किया है उनमें से ज्यादातर ने हाईकोर्ट में याचिकाएं दाखिल करके इसे चुनौती दी है। अब तक तकरीबन 250 याचिकाएं दाखिल...
More »नोएडा एक्स. में एक और अधिग्रहण रद
इलाहाबाद। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नोयडा एक्सटेंशन में आने वाले पतवाड़ी और देवला गांव के जमीन अधिग्रहण को रद्द कर दिया है। इस तरह से अब यूपी सरकार करीब 1455 एकड़ भूमि किसानों को वापस करेगी। अरिहंत, सुंदरम, निराला स्टेट, पटेल नीयो टाउन, आम्रपाली जैसे बिल्डरों के यहां प्रोजेक्ट चल रहे हैं। आदेश न्यायमूर्ति अमिताव लाला तथा न्यायमूर्ति अशोक श्रीवास्तव की खंडपीठ ने पटवारी गांव के किसानों की तरफ से दाखिल याचिका पर दिया। पटवारी...
More »वेदांत की याचिका हाईकोर्ट में खारिज
कोरापुट लांजीगड़ स्थित वेदांत आलूमिना परियोजना संप्रसारण को लेकर हाईकोर्ट में वेदांत की तरफ से दायर याचिका आज खारिज हो गयी है। वेदांत की तरफ से 1 से 6 मिलियन टन उत्पादन बढ़ाने के लिए यानी संप्रसारण किए जाने को लेकर हाईकोर्ट की इजाजत मांगी गयी थी, मगर वहां पर पर्यावरण मंजूरी सही न होने की बात विपक्ष केन्द्र सरकार की तरफ से अदालत को दर्शाया गया। इसके चलते इस मामले की सुनवाई...
More »छत्तीसगढ़ में एसपीओ और सुप्रीम कोर्ट - कनक तिवारी
जुलाई 2011 को सुप्रीम कोर्ट के माननीय न्यायमूर्ति सेवानिवृत्त होते बी. सुदर्शन रेड्डी और सुरेन्दर सिंह निज्जर की पीठ ने ऐतिहासिक फैसला देते हुए छत्तीसगढ़ शासन के उन आदेशों को निरस्त कर दिया है, जिनके अनुसार बस्तर में नक्सलियों से निपटने के लिए विशेष पुलिस कर्मी (एसपीओ) को भरती कर मजबूर, गरीब और लगभग अशिक्षित आदिवासी युवकों के हाथों में कथित आत्मसुरक्षा के नाम पर बंदूकें थमा दी गई थीं....
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