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रोटी की बहस और बहस की जमीन- चंदन श्रीवास्तव

सलाह मिल गयी है. खाद्य-सुरक्षा विधेयक का मसौदा अपनी परिणति तक आ पहुंचा है. लोग जान गये हैं कि यूपीए सरकार ना सही सबको तो भी कम-से-कम 80 फ़ीसदी लोगों को सस्ता अनाज देने जा रही है. लोग खुश हैं या नहीं, कहा नहीं जा सकता. भोजपुरी में एक कहावत है-ये सूरदास घीव कड़कड़ाईल बा और सूरदास का जवाब कि थरिया में पड़ो तब नू. खाद्य-सुरक्षा के मामले में जनता-जनार्दन...

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शोषण का खेल चालू है..- शिरीष खरे

राष्ट्रमंडल खेल दिल्ली  को दुनिया के बेहतरीन खेल शहरों में शामिल कर जायेंगे. यह अभी तक के सबसे मंहगे राष्ट्रमंडल खेल होंगे. यह अभी तक के सबसे सुरक्षित राष्ट्रमंडल खेल भी होंगे. राष्ट्रमंडल खेलों के सफ़ल आयोजन के साथ ही भारत को एक ओर्थक महाशक्ति के रूप में पेश कर सकेंगे. रुकिए-रुकिए. बड़े-बड़े दावों के बीच से कहीं यह उपलब्धि भी छूट न जाये कि मजदूरों के नाम पर उपकर के...

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वेदांत- हिन्दुत्व और साम्राज्यवादी मंसूबों का विध्वसंक मिश्रण- रोजर मूडी

विभिन्न देशों के कानून और पर्यावरण नियमों का बड़े पैमाने पर उल्लंघन करने में वेदांत रिसोर्सेज़ की एक अलग पहचान है. कहने को तो यह कम्पनी एक पब्लिक कम्पनी है मगर इसमें वर्चस्व खुले तौर पर केवल एक व्यक्ति, उसके परिवार और इष्ट मित्रों का ही है. इस कम्पनी को इस बात पर भी नाज़ है कि वह हिन्दुत्व और नव-उदार रूढ़िवादिता में समन्वय स्थापित करती है. परेशानी की बात...

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निजी कंपनियों में गरीबों को कोटा

नई दिल्ली। गरीबों को निजी कंपनियों की नौकरियों में भी कोटा मिल सकता है। सरकार देश के गरीब तबके को निजी क्षेत्र में पांच फीसदी तक आरक्षण दिलाना चाहती है। उद्योग विभाग ने इस बारे में सीआईआई, फिक्की और एसोचैम को पत्र भेजकर उनकी राय मांगी है। इन तीनों उद्योग संगठनों के साथ सरकार ने अप्रैल, 2010 में इस मुद्दे पर बैठक की थी। 14 जुलाई को उद्योगों को जारी किया...

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विद्रोह के केंद्र में दिन और रातें

जाने-माने मानवाधिकार कार्यकर्ता और ईपीडब्ल्यू के सलाहकार संपादक गौतम नवलखा तथा स्वीडिश पत्रकार जॉन मिर्डल कुछ समय पहले भारत में माओवाद के प्रभाव वाले इलाकों में गए थे, जिसके दौरान उन्होंने भाकपा माओवादी के महासचिव गणपति से भी मुलाकात की थी. इस यात्रा से लौटने के बाद गौतम ने यह लंबा आलेख लिखा है, जिसमें वे न सिर्फ ऑपरेशन ग्रीन हंट के निहितार्थों की गहराई से पड़ताल करते हैं, बल्कि माओवादी...

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